- जापान में 7.1 तीव्रता के भूकंप ने दी थी दस्तक
- सुमानी की आशंका से इनकार
- ओनागावा या फुकुश डायनी इलाके के परमाणु संयंत्र सुरक्षित
नई दिल्ली। जापान की राजधानी टोक्यो के करीब 7 तीव्रता के जलजले ने दस्तक दी है। सेंडाईशी से करीब 90 किमी दूर भूकंप का केंद्र बताया गया है। जापान के उत्तरपूर्वी भाग के तटवर्ती क्षेत्रों में शनिवार को जोरदार भूकंप आया जिसके झटके फुकुशिमा, मियागी और अन्य इलाकों में महसूस किये गये। वैसे सुनामी का कोई खतरा नहीं है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।जापान के सरकारी प्रसारक एनएचके टीवी ने खबर दी है कि शनिवार रात को 7.1 तीव्रता का भूकंप आने के बाद फुकुशिमा डायची परमाणु संयंत्र अब यह जांच करने में लगा कि इस केंद्र में कोई समस्या तो नहीं आयी है। दस साल पहले भयंकर भूकंप आने से इस परमाणु संयंत्र को बड़ा नुकसान पहुंचा था ।
परमाणु संयंत्र सुरक्षित
सरकारी प्रवक्ता कत्सूनोबा काटो ने यहां संवाददाताओं को बताया कि वैसे ओनागावा या फुकुश डायनी जैसे क्षेत्रों के अन्य परमाण संयंत्रों से किसी गड़बड़ी की खबर नहीं है।किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। काओ के मुताबिक टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कोरपोरेशन ने बताया कि भूकंप के बाद 860,000 घरों में बिजली गुल हो गयी।उन्होंने बताया कि भूकंप से सुनामी का कोई खतरा नहीं है, वैसे उत्तरपूर्वी जापान में कुछ ट्रेनों को रोक दिया गया एवं अन्य नुकसान का अब भी पता लगाया जा रहा है।
एनएचके टीवी पर प्रसारित वीडियो में एक भवन की दीवार की कुछ टुकड़े गिर गये और आलमारी से चीजें भी गिर गयीं।जापान मौसम विज्ञान एजेंसी ने बताया कि भूकंप का केंद्र समुद्र तल से करीब 60 किलोमीटर की गहराई पर था।प्रधानमंत्री भूकंप की खबर आने के तत्काल बाद अपने कार्यालय गये जहां एक संकट सेंटर स्थापित किया गया।भूकंप टोक्यो से लेकर दक्षिण पश्चिम तक महसूस किया गया।
रिक्टर स्केल पर तीव्रता और तबाही का मंजर
- 0 से 1.9 सीस्मोग्राफ से पता चलता है।
- 2-2.9 हल्का कंपन
- 3.3.9 बिल्कुल करीब से ट्रक के गुजरने पर कंपन का अहसास
- 4-4.9 के भूकंप पर खिड़कियां टूटने का खतरा
- 5-5.9 फर्नीचर हिल जाता है।
- 6 से 6.9 पर इमारतों की नींव दरकती है और ऊपरी मंजिल को नुकसान
- 7-7.9 इमारतें गिर जाती हैं और जमीन के अंदर पाइप का फट जाती हैं
- 7 से 7.9 इमारत समेत बड़े पुलों को गिरने का खतरा
- 9 से अधिक तीव्रता के भूकंप से भयंकर तबाही
जानकारों की राय
जानकारों का कहना है कि जापान आमतौर पर छोटे छोटे भूकंप का सामना करता रहता है। लेकिन 7 तीव्रता के भूकंप से खतरा बढ़ जाता है खास तौर पर सुनामी का खतरा बढ़ जाता है। जानकार कहते हैं कि जापान भी टेक्टोनिक तौर पर संवेदनशील है। धरती के अंदर जब आवश्यकता से अधिक संचित ऊर्जा बाहर निकलती है तो वो फिशर के जरिए बाहर निकलती है और उसका असर जलजले के तौर पर नजर आता है। लेकिन पिछले 9 से 10 महीने में जिस तरह से दिल्ली और एनसीआर के इलाके में जलजला दस्तक दे रहा है वो किसी बड़े तबाही की पूर्व चेतावनी हो सकती है।