काहिरा : टिकटॉक वीडियो बनाने पर किसी के खिलाफ मुकदमा चल जाए, यह सुनकर थोड़ी हैरानी होती है, पर ऐसा ही मामला मिस्र से सामने आया है, जहां दो महिलाओं के लिए सिर्फ इसलिए सजा का ऐलान किया गया, क्योंकि उन्होंने टिकटॉक वीडियो बनाए थे। दो युवतियों के इस कदम को 'मिस्र के पारिवारिक मूल्यों एवं सिद्धांतों का उल्लंघन' बताया गया और उनके लिए सजा का ऐलान कर दिया गया।
मिस्र में 'टिकटॉक गर्ल्स' के नाम से लोकप्रिय इन दोनों लड़कियों की उम्र महज 20 और 22 साल है, लेकिन जिन्होंने 15 सेकेंड का टिकटॉक वीडियो बनाया था। इसमें वे कार में मेकअप पोज देते हुए, रसोईघर में नाचते हुए और मजाक के तौर पर नखरे दिखाती नजर आई थीं। हालांकि यहां इसे अश्लीलता की श्रेणी में रख दिया गया और आरोप तय किए गए कि ये अश्लील कार्य मिस्र के समाज के सिद्धांतों एवं मूल्यों का उल्लंघन करते हैं।
लड़कियों पर लगे अश्लीलता के आरोप
मिस्र की इन दोनों लड़कियों हनीन हुस्साम (20) और मवादा एलाधम (22) को बीते साल जुलाई में इस डांस वीडियो के लिए दो साल की सजा कैद की सजा सुनाई गई। उन पर अन्य युवतियों को 'अश्लील कार्यों के लिए भर्ती करने' के आरोप तय किए और कहा गया कि 'ये अश्लील कार्य मिस्र के समाज के सिद्धांतों एवं मूल्यों का उल्लंघन करते हैं।' कोर्ट ने इन आरोपों को जायज ठहराया और कॉलेज छात्राओं के लिए सजा सुना दी।
पुरातत्व की पढ़ाई कर रही हुस्साम को बीते साल अप्रैल में एक टिकटॉक वीडियो के लिए गिरफ्तार किया गया था, जिसमें वह अपने फॉलोअर्स से कहती सुनी गई कि लड़कियां Likee एप पर वीडियो बनाकर पैसे कमा सकती है। उस समय टिकटॉक पर उसके 13 लाख फॉलोअर्स थे। वहीं, एलाधम को मई में गिरफ्तार किया गया था, जब उसने एक व्यांग्यात्मक वीडियो टिकटॉक और इंस्टाग्राम पर अपलोड किया था। उस समय टिकटॉक पर उसके 31 लाख और इंस्टाग्राम पर 16 लाख फॉलोअर्स थे।
कोर्ट ने पलट दिया फैसला
इन लड़कियों को मंगलवार (12 जनवरी) को बड़ी राहत मिली, जब एक अपीलीय अदालत ने उनकी जेल की सजा पर रोक लगा दी। लेकिन यह राहत फौरी साबित हुई। दो दिन बाद ही गुरुवार (14 जनवरी) को मिस्र के एक न्यायाधीश ने लड़कियों को बरी करने के अपीलीय अदालत के फैसले को पलट दिया। अब उन पर 'मानव तस्करी' के नए आरोप लगाए गए हैं और उन्हें 15 दिनों के लिए सुनवाई पूर्व हिरासत में भेजने के आदेश दिए।
मिस्र में बढ़ रहा कट्टरपंथ!
खाड़ी अरब के देशों में अपेक्षाकृत अधिक उदार समझे जाने वाले मिस्र में इस फैसले ने अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोरी है। दुनिया के अन्य इस्लामिक देशों के मुकाबले मिस्र को अधिक उदार और नागरिकों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रदान करने वाला मुल्क समझा जाता रहा है, लेकिन जानकारों का मानना है कि विगत कुछ समय में यहां व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर अंकुश लगता नजर आ रहा है, खासकर 2013 में राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के सत्ता में आने के बाद।
बीते साल ही मिस्र के कुछ सांसदों ने टिकटॉक पर 'अनैतिकता और नग्नता' के आरोप लगाते हुए सरकार से देश में इस एप को बैन किए जाने की मांग की थी। बीते साल जून में भी एक बैले डांसर समा अल-मस्री को टिकटॉक पर डांस पोस्ट करने के लिए तीन साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि बीते कुछ समय में मिस्र की महिलाओं ने बड़ी संख्या में सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना शुरू किया है, जिसके बाद रूढिवादियों के साथ उनका सीधा टकराव बढ़ गया है। रूढिवादी तबका इसे देश की रूढियों को चुनौती के तौर पर देखता है।