- 12-15 आयु समूह में फाइजर की वैक्सीन को यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी ने दी मंजूरी
- बच्चों का वैक्सीनेशन सभी देशों के सामने बड़ी चुनौती
- भारत में कोवैक्सीन को ट्रायल के लिए दी गई है मंजूरी
कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन को प्रभावी हथियार के तौर पर देखा जा रहा है। दुनिया के अलग अलग मुल्कों में अलग अलग वैक्सीन के जरिए कोरोना संक्रमण से आजादी पाने की कोशिश हो रही है। इन सबके बीच बड़ा सवाल यह था कि बच्चों को किस तरह से संक्रमण से सुरक्षित किया जाए। उस दिशा में यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी ने शुक्रवार को फाइजर बायोनटेक की वैक्सीन को मंजूरी दे दी है जो 12 से 15 आयु समूह में दी जा सकती है। यूरोपियन यूनियन में यह पहली वैक्सीन होगी जिसके इस्तेमाल की इजाजत दी गई है।
जानसन एंड जानसन के सिंगल शॉट को इंग्लैंड ने दी मंजूरी
जानसन एंड जानसन के सिंगल शॉट को इंग्लैंड ने मंजूरी दे दी है। इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन ने रह कहा कि यह बहुत ही स्वागत योग्य समाचार है और हमारे बेहद सफल टीकाकरण कार्यक्रम के लिए एक और प्रोत्साहन है।जैसा कि हम सभी को अपने जाब्स प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, एकल-खुराक जानसेन वैक्सीन लोगों को वायरस से बचाने में हमारी मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।जब आप कॉल करें, जैब प्राप्त करें।
'70 फीसद वैक्सीनेशन जरूरी'
इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि जब तक पूरी दुनिया की 60 फीसद आबादी का टीकाकरण नहीं हो जाता है। कोरोना का खतरा बरकरार रहेगा। दुनिया के मुल्कों को वैक्सीनेशन कार्यक्रम को गति देने के साथ साथ टीकों पर और शोध करने की जरूरत है। यह शुभ संकेत है कि महामारी फैलने के साल भर के अंदर अलग अलग टीके उपलब्ध हो चुके हैं। लेकिन टीके लंबे समय तक कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में भागीदार बन सकें इसके लिए और गहराई से शोध करने की आवश्यकता है।