- हैंड सैनिटाइजर की वजह से बच्चों के आंखों की रोशनी पर पड़ सकता है असर
- यूरोप के शोध पत्र में बच्चो को लेकर किया गया आगाह
- सैनिटाइजर की जगह हाथ धोने की दी गई सलाह
सैनिटाइजर के बारे में डॉक्टर सलाह देते हैं कि कोरोना महामारी के दौरान इसका इस्तेमाल जरूरी है। अगर देखा जाए तो इसका इस्तेमाल भी हो रहा है। लेकिन इसके साइड इफेक्टस के बारे में फ्रांस के एक शोध पत्र में दावा किया गया है जो हम सबके लिए अच्छी खबर नहीं है। खास बात यह है कि बच्चों पर इसका खराब असर पड़ रहा है। फ्रांस में हुए ताजा शोध के मुताबिक साल 2020 में वर्ष 2019 की अपेक्षा बच्चों के घायल होने की घटनाएं 7 गुना बढ़ी है। सबसे ज्यादा केस आंखों के संबंध में है। लेकिन शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि अगर गलती से सैनिटाइटर बच्चों की आंख में चला जाए तो यह उन्हें अंधा कर सकता है।
हैंड सैनिटाइजर से अंधापन का खतरा
फ्रेंच प्वाइजन कंट्रोल सेंटर के आंकड़ों पर नजर डालें तो 1 अप्रैल 2020 से अगस्त 2020 के बीच सैनिटाइजर से जुड़े मामले 232 रहीं जो पिछले साल 33 थी। कोरोना वायरस से बचाव के लिए दुनियाभर में सैनिटाइजर के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। कोरोना की वजह से लगभग 70 फीसदी अल्कोहॉल वाले सैनिटाइजर का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ा है। सैनिटाइजर कोरोना वायरस का खात्मा कर देता है।
कोरोना की वजह से सैनिटाइजर का इस्तेमाल बढ़ा
कोरोना की वजह से दुकानों, ट्रेनों, घरों में हर जगह सैनिटाइजर का इस्तेमाल बढ़ा है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अल्कोहॉल बेस्ड हैंड सैनिटाइजर अब तक बड़े पैमाने पर खासतौर पर बच्चों में इस्तेमाल किया जा रहा है।भारतीय शोधकर्ताओं का भी कहना है कि सैनिटाइजर को बच्चों की पहुंच से दूर रखना चाहिए। ऐसे दो मामले आए हैं जब बच्चों की आंखों में सैनिटाइजर चला गया और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा।'
सैनिटाइजर की जगह हाथ धोने की दी गई सलाह
डॉक्टरों ने कहा कि छोटे बच्चों में सैनिटाइजर के आंखों में जाने से गंभीर रूप से बीमार होने या अंधे होने का खतरा रहता है। ज्यादातर सार्वजनिक जगहों पर सैनिटाइजर कम ऊंचाई पर रखे गए हैं जिससे उनके बच्चों के आंखों की रोशनी जाने का खतरा रहता है। डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों को सैनिटाइजर लगाने में बड़े मदद करें। इसके अलावा कोरोना से बचाव के लिए हाथ धोने की प्रक्रिया को प्राथमिकता दें।