- इंडोनेशिया में हाल के सप्ताहों में 100 से अधिक बच्चों की मौत कोविड-19 से हुई है
- इसे देखते हुए भारत में भी चिंता बढ़ी है, हालांकि विशेषज्ञों ने ऐसे डर को खारिज किया है
- हालिया सीरो सर्वे का हवाला देते हुए उन्होंने भारत में बच्चों की इम्युनिटी बेहतर बताई है
जकार्ता/नई दिल्ली : इंडोनेशिया में कोविड-19 से हाल के सप्ताहों में 100 से अधिक बच्चों की जान गई है, जिनमें अधिकांश की उम्र पांच साल से कम है। इंडोनेशिया के इन आंकड़ों ने भारत में भी चिंता पैदा की है, जहां कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका को लेकर विशेषज्ञ लगातार चेतावनी दे रहे हैं। कई रिपोर्ट्स में दावे किए गए हैं कि कोरोना की तीसरी लहर का असर बच्चों पर सबसे अधिक हो सकता है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि उनके पास ऐसा कोई डेटा नहीं है, जिसके आधार पर वे कह सकें कि कोविड-19 की तीसरी लहर में सबसे अधिक बच्चे प्रभावित होंगे।
बात इंडोनेशिया की करें तो यहां हाल में कोविड के कहर के लिए कोरोना वायरस के 'डेल्टा' वैरिएंट को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। यहां बीते कुछ समय में कोविड-19 से बच्चों की मौत की दर दुनिया के बाकी हिस्सों के मुकाबले कहीं अधिक है, जिससे भारत में भी चिंता बढ़ रही है। इंडोनेशिया में कोरोना वायरस संक्रमण के जो मामले आए हैं, उनमें से 12.5 फीसदी संक्रमण बच्चों में है। यहां अब तक कोविड-19 के 30 लाख से अधिक केस सामने आ चुके हैं, जिनमें 83,000 लोगों की जान गई है। मरने वालों में 800 ऐसे लोग हैं, जिनकी उम्र 18 साल से कम है। इनमें भी सर्वाधिक मौतें हाल के कुछ समय में हुई हैं, जिसके कारण कोविड-19 की तीसरी लहर में बच्चों के अधिक प्रभावित होने की आशंका व चिंता बढ़ती जा रही है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
इंडोनेशिया के आंकड़े भारत में भी चिंता पैदा कर रहे हैं। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि अभी तक उनके सामने ऐसा कोई साक्ष्य नहीं आया है, जिससे यह पता चलता हो कि कोविड-19 की तीसरी लहर में बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होंगे। हाल ही में केंद्र सरकार ने चौथे सीरो सर्वे के आंकड़े भी जारी किए हैं, जिसके मुताबिक, देश की 67.6 फीसदी आबादी में एंटीबॉडी पाया गया है, लेकिन 40 करोड़ लोग अब भी संक्रमण को लेकर संवेदनशील हैं। यह सर्वे जून-जुलाई में देश के 70 जिलों में किया गया था, जिसमें 6-17 साल के बच्चों को भी शामिल किया गया।
दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने भी सीरो सर्वे का हवाला देते हुए कहा कि देश में बच्चों की इम्युनिटी बेहतर है और चरणबद्ध तरीके से स्कूलों को खोला जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 के पहली और दूसरी लहर के दौरान यह देखा गया है कि वायरस से संक्रमित होने के बाद बच्चों में ठीक होने की दर कहीं बेहतर रही।