- पाकिस्तान में 25 सितंबर को 9 सीटों पर उप चुनाव होंगे।
- तोशखाने मामले में चुनाव आयोग ने इमरान खान को नोटिस जारी करते हुए 18 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाया है।
- पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को 2017 में चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया गया था।
Imran Khan:पाकिस्तान में 9 संसदीय सीटों पर होने वाले उप चुनाव में इमरान खान सभी सीटों पर खुद चुनाव लड़ेंगे। यानी वह अपनी पार्टी की तरफ से सभी सीटों पर उम्मीदवार होंगे। इमरान खान इस तरह की कवायद 2018 के आम चुनाव में भी कर चुके हैं। जब उन्होंने 5 सीटों से चुनाव लड़ा था और सभी सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन उप चुनाव की सभी सीटों पर चुनाव लड़ना निश्चित तौर पर इमरान खान की बेचैनी और उन पर बढ़ते शिकंजे के दबाव को दिखाता है।
इमरान का नवाज शरीफ जैसा हो सकता है हाल
भले ही इमरान खान 9 जगह से चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन सत्तारूढ़ दल उन्हें बड़ी चोट देने के फिराक में हैं। पाकिस्तान के सत्तारूढ़ गठबंधन ने निर्वाचन आयोग से इमरान खान को चुनाव लड़ने के लिए आजीवन अयोग्य घोषित करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अपनी संपत्ति की घोषणा में तोशाखाने से मिले उपहारों के बारे में जानकारी का खुलासा नहीं किया, इसलिए उन्हें आजीवन अयोग्य ठहराया जाय।रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (PDM) द्वारा दायर याचिका में देश के संविधान के अनुच्छेद 62(1)(F) के तहत खान को आजीवन अयोग्य ठहराए जाने की मांग की गई।इसी प्रावधान के तहत पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को 2017 में अयोग्य घोषित किया गया था।
18 अगस्त से पहले इमरान खान कर रहे हैं रैली
सत्ता से हटाए जाने के बाद, इमरान खान लगातार रैलियां कर रहे हैं और जनता के जरिए सरकार और चुनाव आयोग पर, जल्द चुनाव कराने का दबाव बना रहे हैं। इमरान की पार्टी PTI ने 13 अगस्त को रावलपिंडी क्रिकेट स्टेडियम में एक बड़ी सभा आयोजित करने की घोषणा की है। ताकि, अगले दिन 14 अगस्त को महारैली कर सरकार पर सत्ता छोड़ने का दबाव बनाया जा सके। असल में तोशखाने मामले में चुनाव आयोग ने इमरान खान को नोटिस जारी करते हुए 18 अगस्त को पूछताछ के लिए बुलाया है। ऐसे में उसके पहले रैली कर इमरान खान दबाव की राजनीति कर रहे हैं।
पार्टी में भी मुश्किल !
इमरान खान ने जिस तरह 25 सितंबर को होने वाले सभी 9 सीटों के उप चुनाव में खुद को मैदान में उतार दिया है। उससे एक बात तो साफ है कि वह पार्टी के अंदर भी बहुत सहज स्थिति में नहीं हैं। क्योंकि यह तो उन्हें भी पता है कि वह केवल एक सीट को बरकरार रख सकेंगे। बाकी जिन दूसरी सीटों पर वह चुनाव जीतेंगे, उसे उन्हें छोड़ना पड़ेगा। ऐसी स्थिति में अगर आगे चुनाव होते हैं तो उन्हें अपनी पार्टी के नेताओं को उम्मीदवार बनाना होगा। साफ है कि इमरान खान समय चाह रहे हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)