- भारत को अगस्त माह के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता मिली है
- उच्च प्राथमिकता सूची वाले मसलों में आतंकवाद रोधी चर्चा भी शामिल है
- आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान पहले ही दुनिया में फजीहत झेल रहा है
संयुक्त राष्ट्र : भारत को अगस्त माह के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता मिली है, जिसके बाद पाकिस्तान में एक तरह का खौफ देखा जा रहा है। भारत ने रविवार को फ्रांस से यह जिम्मेदारी संभाली, जिसके बाद भारत में फ्रांस के राजनयिक इमैनुएल लेनैन ने जो कुछ भी कहा, वह पाकिस्तान के होश उड़ा देने के लिए काफी था। उन्होंने भारत के साथ मिलकर जिन मुद्दों पर काम करने की बात कही, उनमें आतंकवाद विरोधी अभियान भी शामिल है।
इससे पहले भारत साफ कर चुका है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे रहने वाले देश के रूप में आतंकवाद रोधी प्रयासों पर लगातार जोर देता रहेगा। पाकिस्तान, जो अरसे से आतंकवाद को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के निशाने पर रहा है, भारत और फ्रांस के इन बयानों ने साफ तौर पर खौफजदा नजर आ रहा है। अपनी धरती पर सक्रिय आतंकियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करने को लेकर पाकिस्तान पहले ही FATF के झटके झेल रहा है।
आतंकवाद के वित्त पोषण और मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं करने को लेकर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को जून 2018 में FATF की ग्रे लिस्ट में रखा था, जिसके बाद से वह अब तक उसमें बना हुआ है। FATF की अभी जून में हुई बैठक में भी पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह यकीन दिलाने में नाकाम रहा कि वह आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को लेकर वास्तव में गंभीर है।
तालिबान पर इमरान के बयान से भी उठे सवाल
वहीं, अफगानिस्तान में तालिबान को लेकर बढ़ती हलचल के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जो बयान दिया है, वह भी अंतराष्ट्रीय समुदाय की चिंता बढ़ाने के लिए काफी है। अंतरराष्ट्रीय बिरादरी जहां अफगानिस्तान में तालिबान के बढ़ते दखल को लेकर चिंतित है, वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को तालिबान आम इंसानों जैसे ही नजर आते हैं और सारी गड़बड़ी का ठीकरा यह कहते वह अमेरिका पर डाल देते हैं कि उसने तालिबान को ठीक से हैंडल नहीं किया।
तालिबान को 'आम नागरिक' बताने वाला इमरान खान का बयान ऐसे समय में आया, जबकि अंतरराष्ट्रीय बिरादरी तालिबान की हिंसक गतिविधियों को लेकर लगातार चिंता जता रहा है। यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान की हिंसक गतिविधियों से जिस तरह से महिलाएं और बच्चे प्रभावित हो रहे हैं, उसे बड़े नुकसान का खतरा है। अगर जल्द ही इसे नहीं रोका गया तो इस साल बड़ी संख्या में अफगान नागरिक हताहत हो सकते हैं।
अफगानिस्तान में तालिबान की गतिविधियों पर भारत ने भी करीब से नजर बना रखी है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत अफगानिस्तान में निर्वाचित नेतृत्व से बात करेगा, न कि तालिबान से। बीते सप्ताह भारत दौरे पर आए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन के साथ हुई बातचीत में भी अफगानिस्तान का मसला उठा, जिसमें तालिबान की बढ़ती गतिविधियों के बीच अफगानिस्तान के सुरक्षा हालात को लेकर गहन चर्चा की गई।
पाकिस्तान को सता रहा कैसा डर?
तालिबान को लेकर उस रिपोर्ट ने भी चौंकाया है, जिसमें कहा गया है कि पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी महज एक साधारण गोलीबारी में नहीं मारे गए, बल्कि तालिबान ने दानिश सिद्दीकी की पहचान की पुष्टि कर और 'भारतीय' जानकर बेरहमी से उनकी हत्या कर दी। इस नृशंस वारदात ने एक बार फिर तालिबान की क्रूरता को उजागर किया है, लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को वही तालिबान 'आम नागरिकों' सा लगता है।
पाकिस्तान की जमीन पर सक्रिय आतंकियों का मसला हो या तालिबान की हिंसक गतिविधियों पर पाकिस्तान की चुप्पी या अफगानिस्तान में मारकाट मचाने वाले तालिबान को 'आम नागरिक' बताना पाकिस्तानी नेतृत्व के बयानों से जाहिर है कि वे आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को लेकर कितने गंभीर हैं। ऐसे में अगर भारत और फ्रांस ने कहा है कि वे आतंकवाद विरोधी अभियानों को लेकर काम करेंगे तो इसे लेकर पाकिस्तान में डर स्वाभाविक है।
पाकिस्तान इस बात से भलीभांति वाकिफ है कि FATF ने अब तक अगर ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं निकल पाया है तो इसमें भारत की कूटनीतिक कोशिशों का भी अहम योगदान है, जो आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को लगातार अंतराष्ट्रीय मंच पर बेनकाब करता आ रहा है। अब जब भारत ने एक माह के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभाली है तो पाकिस्तान की नजरें उन गतिविधियों पर टिकी हैं, जो भारत की अध्यक्षता में UNSC आगामी समय में उठा सकता है।
UNSC में इन मुद्दों पर होनी है चर्चा
भारत की अध्यक्षता में जिन अहम मसलों को लेकर सुरक्षा परिषद की बैठक होनी है, उनमें सीरिया, इराक, सोमालिया, यमन और मध्य पूर्व का मसला तो है ही, तीन ऐसे मसले भी हैं, जो उच्च प्राथमिकता सूची में रखे गए हैं। इनमें नौवहन सुरक्षा, शांतिरक्षक दल और आतंकवाद रोधी चर्चा शामिल हैं। पाकिस्तान की चिंता मुख्य रूप से आतंकवाद के खिलाफ UNSC की बैठकों और इसमें लिए जाने वाले निर्णयों को लेकर है, जिससे वह फिलहाल डरा हुआ नजर आ रहा है।
पाकिस्तान का डर उसके उस बयान से साफ है, जिसमें उसने बुझी-बुझी सी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 'उम्मीद है भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता के दौरान अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करेगा।' संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति का वह बयान पाकिस्तान के पेशानी पर बल लाने के लिए काफी है, जिसमें उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अग्रिम मोर्चे पर रहने वाले देश के तौर पर भारत आतंकवाद निरोधी उपायों को भी केंद्र में रखेगा।
(डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और टाइम्स नेटवर्क इन विचारों से इत्तेफाक नहीं रखता है)