- पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ क्या हो रहा है, दुनिया को पता
- सिख, अहमदिया, वोरा समाज के साथ बर्बर व्यवहार
- पाकिस्तान पहले अपने बारे में सोचे
संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच पर अलग अलग देश अल्पसंख्यकों के बारे में अपनी सरकार के नजरिए का जिक्र कर रहे थे। मौका पाकिस्तान का आया तो वहां के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने अपने देश से कहीं अधिक भारत के बारे में बात की और कहा कि वहां तो इस्लामोफोबिया है। यह बात अलग है कि बिलावल भुट्टो का जवाब यूएन में भारत के संयुक्त सचिव श्रीनिवास गोत्रु ने देते हुए कहा कि आश्चर्य की बात ये है कि जिस देश ने अपने यहां अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचारों के आंकडों को प्रकाशित करने से रोक दिया वो मुल्क इस तरह की बात कर रहा है।
'पाकिस्तान में क्या हो रहा है'
भारत ने कहा कि यह अपने आप में कितनी विचित्र बात है कि पाकिस्तान जहां पर एक दो नहीं बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक समाज के खिलाफ अत्याचार हुआ है वो इस्लामोफोबिया जैसे लफ्जों का इस्तेमाल कर रहा है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समाज की लड़कियों का अपहरण, जबरदस्ती शादी, धर्मांतरण का सच किससे छिपी है। जहां तक बात भारत की है कि तो हमारे यहां अल्पसंख्यक समाज के अलग से मंत्रालय बना हुआ है। जिसका काम ही धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करना है। ऐसी सूरत में पाकिस्तान द्वारा मुद्दे को उठाना आश्चर्यजनक है।
'जवाब देने के लिए विवश हूं'
पाकिस्तान की टिप्पणियों को अलग करते हुए, संयुक्त सचिव ने कहा कि वो एक प्रतिनिधिमंडल को जवाब देने के लिए विवश हैं जिसने मेरे देश के खिलाफ झूठे आरोप लगाने के लिए इस मंच का दुरुपयोग करने के लिए फिर से चुना है।इसका अल्पसंख्यक अधिकारों का सबसे गंभीर उल्लंघन करने का एक लंबा इतिहास रहा है जिसे दुनिया ने कभी देखा है। हम जानते हैं कि पाकिस्तान ने अपने अल्पसंख्यकों के साथ क्या किया है। इसने उन्हें नष्ट कर दिया है। इनमें से कुछ अल्पसंख्यक पाकिस्तान में विलुप्त हो गए हैं। आज भी पाकिस्तान सिखों, हिंदुओं, क्रिस्टियाना और अहमदियों के अधिकारों का घोर उल्लंघन कर रहा है