- विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जॉर्जिया को 17वीं सदी की क्वीन केतेवन के अवशेष सौंपे
- जॉर्जिया में महारानी संत केतेवन के इन अवशेषों को बेहद पवित्र व पूज्य माना जाता है
- मध्यकालीन पुर्तगाली अभिलेखों के अनुसार, जॉर्जिया की रानी के अवशेष गोवा में मिले थे
तिबलिसी : विदेश मंत्री एस जयशंकर दो दिन की जॉर्जिया यात्रा पर हैं। वह शुक्रवार को यहां पहुंचे। उनकी यह यात्रा कई मायनों में खास है। यह दोनों देशों के रिश्तों को मजबूती प्रदान करने वाला है तो इस दौरान भावुक पल भी आया, जब उन्होंने जॉर्जिया के अपने समकक्ष को 17वीं सदी की महारानी संत केतेवन के अवशेष सौंपे और इस तरह जॉर्जिया की वर्षों पुरानी मांग पूरी हुई।
जॉर्जिया की 17वीं सदी की महारानी संत केतेवन के अवशेषों के गोवा में मिलने की पुष्टि करीब 16 साल पहले हुई थी। मध्यकालीन पुर्तगाली अभिलेखों के आधार पर उनके अवशेष ओल्ड गोवा के सेंट ऑगस्टीन कॉन्वेंट में साल मिले थे। ऐसी मान्यता है कि उन्हें 1627 में गोवा लाया गया था और सेंट ऑगस्टीन कॉम्प्लेक्स में दफनाया गया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के कहने पर सीएसआईआर-सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, हैदराबाद ने डीएनए विश्लेषण किया, जिसने 2005 में इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि की।
भारत ने पूरी की वर्षों पुरानी मांग
जॉर्जिया लंबे समय से अपनी रानी के अवशेषों की मांग कर रहा था। जॉर्जिया सरकार के अनुरोध पर 2017 में भारत ने महारानी के इन अवशेषों को छह महीने के लिए एक प्रदर्शनी के लिए वहां भेजा था। 23 सितंबर, 2017 को जॉर्जिया के कैथोलिकोस-पैट्रिआर्क द्वारा कई जॉर्जियाई लोगों के साथ अवशेषों का व्यक्तिगत रूप से स्वागत किया गया था। अवशेषों को और छह महीने की अवधि के लिए वहां रखा गया और 30 सितंबर 2018 को इसे भारत को लौटा दिया गया। इस एक साल की अवधि में क्वीन केतेवन के अवशेषों को जॉर्जिया के विभिन्न गिरजाघरों में ले जाया गया।
इन पवित्र अवशेषों के स्थायी हस्तांतरण को लेकर जॉर्जियाई की ओर से हो रहे लगातार अनुरोध और जॉर्जियाई लोगों द्वारा सेंट क्वीन केतेवन से जुड़ी ऐतिहासिक, धार्मिक और आध्यात्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने इसका एक हिस्सा उपहार के तौर पर जॉर्जिया की सरकार और वहां के लोगों को सौंपने का फैसला किया।
शुक्रवार को जॉर्जिया पहुंचने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जब जॉर्जिया की महारानी संत केतेवन के अवशेष अपने जॉर्जियाई समकक्ष डेविड जलकालियनी को सौंपे तो यह पल भावुक कर देने वाला था। शनिवार को एक अन्य कार्यक्रम में इसे चर्च में रखा गया। इस अवसर पर विदेश मंत्री एस जयशंकर भी मौजूद थे।
अधिकारियों का कहना है कि इससे भारत और जॉर्जिया के बीच दोस्ती और समझ के बंधन और मजबूत होंगे। जॉर्जिया पूर्वी यूरोप और पश्चिम एशिया के बीच स्थित रणनीतिक रूप से एक महत्वपूर्ण देश है।