न्यूयॉर्क : भारत ने आतंकवाद के मसले पर एक बार फिर दुनिया के देशों के 'दोहरे मानदंडों को लेकर सवाल उठाया तो भारत में 1993 के सिलसिलेवार बम धमाकों के लिए जिम्मेदार दाऊद इब्राहिम को पाकिस्तान में मिले संरक्षण का मसला भी उठाया। आतंकवाद को लेकर इस तरह की प्रवृत्ति को खतरनाक करार देते हुए भारत ने कहा कि यह एक बार फिर पूरी दुनिया को 9/11 से पहले की उसी स्थिति में ले जाएगी, जब आतंकियों को 'आपके आतंकी' और 'मेरे आतंकी' के तौर पर बांटा जाता था।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति मंगलवार को 'आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 2022' में बोल रहे थे, जब उन्होंने 'अपने राजनीतिक, धार्मिक एवं अन्य मकसदों' के कारण आतंकवाद को अलग-अलग वर्गों में बांटने के संयुक्त राष्ट्र के कई सदस्यों की प्रवृत्ति को 'खतरनाक' करार दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह की सोच दुनिया को 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका में हुए आतंकी हमलों से पहले की उस स्थिति में ले जाएगी, जब आतंकियों को 'आपके आतंकी' और 'मेरे आतंकी' के रूप में बांटा जाता था।
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उन्होंने कहा कि इस तरह की प्रवृत्ति हाल में अपनाई गई वैश्विक आतंकवाद-रोधी रणनीति के तहत संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों द्वारा स्वीकृत कुछ सिद्धांतों के खिलाफ है, जो स्पष्ट करती है कि हर तरह के आतंकवाद की निंदा की जानी चाहिए और इसे किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता।
'1993 विस्फोट को दोषियों को मिला संरक्षण'
मुंबई में 1993 में हुए सिलसिले वार बम विस्फोटों का जिक्र करते हुए तिरुमूर्ति ने पाकिस्तान पर जमकर निशाना साधा और कहा कि इसमें शामिल अपराधियों को भारत से बाहर न केवल सरकारी सुरक्षा दी गई, बल्कि उन्हें पांच सितारा होटल में रखा गया। तिरुमूर्ति ने आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगठित अपराध के बीच संबंधों की पहचान की जानी चाहिए और इससे सख्ती से निपटा जाना चाहिए।
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उनका यह बयान 'डी-कंपनी' और इसके सरगना दाउद इब्राहिम को लेकर था, जिसके बारे में माना जाता है कि वह पाकिस्तान में छिपा हुआ है। अगस्त 2020 में पाकिस्तान ने पहली बार अपने यहां दाउद इब्राहिम की मौजूदगी को तब स्वीकार किया था, जब सरकार ने 88 प्रतिबंधित आतंकी समूहों और उनके नेताओं पर प्रतिबंध लगाए गए थे।
'PAK आतंकी समूहों से बढ़ रही अलकायदा की दोस्ती'
भारत ने यह भी कहा कि वैश्विक आतंकी समूह अलकायदा के संबंध संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के साथ लगातार मजबूत हो रहे हैं। अफगानिस्तान में 15 अगस्त, 2021 को तालिबान द्वारा सत्ता हथियाने का संदर्भ देते हुए तिरुमूर्ति ने कहा कि अफगानिस्तान के हालिया घटनाक्रम से आतंकी समूहों को दोबारा ऊर्जा मिली है।
आतंकवाद के खिलाफ दुनिया को चेताते हुए उन्होंने कहा कि इस्लामिक स्टेट (ISIS) ने अब अपनी रणनीति बदल दी है। उसका ध्यान जहां सीरिया और इराक में फिर से पैर जमाने पर है, वहीं इसके क्षेत्रीय सहयोगी खासकर अफ्रीका और एशिया में अपने विस्तार को मजबूत कर रहे हैं। ऐसे में दुनिया को एक बार फिर आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की आवश्यकता है।