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ईरान ने भारत को चाबहार रेल परियोजना से हटाया, कांग्रेस बोली- ये मोदी सरकार की कूटनीतिक विफलता

Updated Jul 14, 2020 | 11:39 IST

Chabahar rail project: चीन-ईरान के बीच होने जा रहे 400 अरब डॉल के समझौते से पहले ईरान ने भारत को चाबहार रेल परियोजना से हटा दिया है, जिस पर कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
ईरान ने भारत को चाबहार रेल परियोजना से हटाया, कांग्रेस बोली- ये मोदी सरकार की कूटनीतिक विफलता
मुख्य बातें
  • ईरान ने फंडिंग नहीं होने का हवाला देकर भारत को चाबहार रेल परियोजना से हटा दिया है
  • ईरान का कहना है कि समझौते के चार साल बाद भी भारत ने इसके लिए फंडिंग नहीं की
  • इसे लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है और इसे कूटनीतिक विफलता बताया है

तेहरान/नई दिल्‍ली: ईरान ने भारत को चाबहार रेल परियोजना से हटा दिया है। यह कदम ऐसे समय में उठाय गया है, जबकि ईरान, चीन के साथ 400 अरब डॉलर का बड़ा समझौता करने जा रहा है। ईरान ने चाबहार रेल प्रोजेक्‍ट को लेकर समझौता होने के के 4 साल बाद भी भारत द्वारा इस परियोजना के लिए फंड नहीं दिए जाने का आरोप लगाते हुए भारत को इस परियोजना से हटा दिया और कहा कि वह अब खुद ही इसे पूरा करेगा। ईरान के इस फैसले को भारत के लिए बड़े कूटनीतिक झटके के तौर पर देखा जा रहा है, जिसे लेकर कांग्रेस भी मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर हो गई है।

कांग्रेस नेता ने किया ट्वीट

कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट कर कहा, 'भारत को चाबहार पोर्ट डील से हटा दिय गया। यह मोदी सरकार की कूटनीति है, जिसने काम नहीं होने पर भी वाहवाही लूटी। लेकिन चीन ने चुपचाप काम किया और उन्हें बेहतर डील दिया। भारत के लिए बड़ा नुकसान। लेकिन आप सवाल नहीं पूछ सकते!'

मार्च 2022 में पूरा होना है प्रोजेक्‍ट

यह रेल परियोजना चाबहार पोर्ट से अफगानिस्‍तान की सीमा से लगे जहेदान के बीच के लिए है, जिसके लिए ईरान और भारत के बीच चार साल पहले समझौता हुआ था। लेकिन अब ईरान की सरकार ने इस पर अकेले ही आगे बढ़ने का फैसला किया है। उसका कहना है कि समझौते के चार साल बाद भी भारत ने इस परियोजना के लिए फंडिंग नहीं की है।

पिछले सप्‍ताह ईरान के परिवहन एवं शहरी विकास मंत्री मोहम्‍मद इस्‍लामी ने चाबहार-जहेदान के बीच 628 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक के निर्माण कार्य का उद्घाटन भी किया था, जिसका विस्‍तार अफगानिस्‍तान के जरांज सीमा तक किया जाना है। इसे मार्च 2022 तक पूरा करने का लक्ष्‍य निर्धारित किया गया है। ईरान ने इसके लिए नेशनल डेवेलपमेंट फंड की 40 करोड़ डॉलर की धनराशि का इस्‍तेमाल करने की बात कही है।

चीन के साथ बड़ा समझौता करने जा रहा ईरान

यहां उल्‍लेखनीय है कि यह परियोजना अफगानिस्‍तान और मध्‍य एशिया तक एक वैकल्पिक व्‍यापार मार्ग मुहैया कराए जाने की प्रतिबद्धता के तहत थी, जिसके लिए ईरान, भारत और अफगानिस्‍तान के बीच 2016 में त्रिपक्षीय समझौता भी हुआ था। लेकिन अब ईरान ने इस परियोजना पर अकेले ही आगे बढ़ने का फैसला किया है। यह सब ईरान और चीन के बीच जल्‍द ही होने जा रहे 400 अरब डॉलर के बड़े रणनीतिक समझौते से पहले हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान और चीन के बीच  यह समझौता लगभग 25 वर्षों के लिए होगा, जिसके लिए बातचीत लगभग पूरी हो चुकी है। इसके तहत चीन जहां ईरान से बेहद सस्‍ती दरों पर तेल खरीदेगा, वहीं बदले में ईरान को अत्‍याधुनिक हथियार हासिल करने में मदद देगा।