- ताइवान पर चीन के हमले के बारे में अमेरिकी सैन्य अधिकारी जता चुके हैं आशंका
- अब अमेरिका और जापान ताइवान की सुरक्षा पर जारी करने वाले हैं संयुक्त बयान
- ताइवान का अपना हिस्सा मानता है चीन, इस द्विपीय देश का अपने में विलय चाहता है
ताइपे : हाल के दिनों में चीन और ताइवान के रिश्ते में तल्खी देखने को मिली है। चीन के सैन्य प्रदर्शन और उसके आक्रामक तेवरों से इस बात की अटकलें लगनी शुरू हुई हैं कि आने वाले समय में वह इस द्विपीय देश पर हमला कर सकता है। रिपोर्टों की मानें तो ताइवान की सुरक्षा को लेकर अमेरिका और जापान इस सप्ताह संयुक्त बयान जारी करने वाले हैं। गत 50 सालों में यह पहला मौका होगा जब ताइवान पर अमेरिका और जापान संयुक्त बयान जारी करेंगे। यह संयुक्त बयान संकेत देता है कि ताइवान को लेकर चीन के भीतर कुछ चल रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन और जापान के पीएम योशिहिदे सुगा के बीच मुलाकात के बाद यह बयान काफी अहम माना जा रहा है।
संयुक्त बयान जारी करेंगे अमेरिका-जापान
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और जापान का यह संयुक्त बयान बहुत कुछ इस लोकतांत्रिक देश की सुरक्षा पर बढ़ते खतरे को संकेत देने वाला हो सकता है। दरअसल, पूर्व अमेरिकी सैन्य अधिकारियों का आंकलन है कि ताइवान पर बीजिंग के हमले का खतरा बना हुआ है। एडमिरल जॉन एक्वीलिनो ने हाल ही में सीनेट की ऑर्म्ड सर्विस कमेटी को बताया कि चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी की सरकार के लिए ताइवान पहली प्राथमिकता में बना हुआ है। जबकि अमेरिका के एशिया पैसिफिक के कमांडर फिलिप डेविडसन ने कहा है कि चीन अगले छह सालों में ताइवान पर हमला कर सकता है।
पीएलए के मिशन तेज हुए
अमेरिकी सैन्य कमांडरों की यह आशंका यूं ही नहीं है। हाल के दिनों में चीन की सरकारी मीडिया में ताइवान को धमकाया गया है। इसके अलावा पीपुल्स लिबरेशन ऑर्मी (पीएलए) के युद्धक विमानों ने ताइवान के एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन (एडीआईजेड) में अपने मिशन तेज किए हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी सैन्य अधिकारियों की यह राय बहुत कुछ चीन के प्रति वाशिंगटन की बदली हुई नीतियों एवं सोच को प्रदर्शित करने वाली हो सकती है।
ताइवान का विलय करना चाहता है चीन
ताइवान पर चीन के खतरे के बारे में वर्जीनिया के इंस्टीट्यूट इन एर्लिंग्टन में प्रोजेक्ट 2049 पर काम करने वाली रिसर्च एसोसिएट एरिक ली का कहना है, 'ताइवान का विलय करने की योजना पर चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी की सरकार दशकों से काम कर रही है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग स्पष्ट कर चुके हैं कि उनके शासनकाल के दौरान सेना के इस्तेमाल का विकल्प खुला है। चीन के साथ अमेरिका की रणनीतिक स्पर्धा को देखते हुए अमेरिकी सैन्य अधिकारियों का यह आंकलन ताइवान पर सीसीपी और पीएलए के खतरे का ही संकेत देता है।'
चीन को नहीं भा रही ताइवान की अमेरिका से नजदीकी
साल 2016 में साई इंग वेन के राष्ट्रपित चुने जाने के बाद चीन ने ताइवान के ईर्द-गिर्द अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। वेन को चीन से अलग देश की ऐतिहासिक पहचान बनाने वाली नेता के रूप में देखा जाता है। यह बात बीजिंग को नागवार गुजरती है। वेन और उनके प्रशासन का अमेरिका से करीबी संबंध हैं। ताइवान को अपना हिस्सा मानने वाले चीन को यह बात अखरती है। चीन से उत्पन्न खतरे को देखते हुए राष्ट्रपति वेन ने देश का रक्षा बजट बढ़ाया है और स्वदेश निर्मित हथियारों के उत्पादन पर जोर दिया है।