- अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अफगानिस्तान से सैन्य वापसी के फैसले का बचाव किया है
- अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया 31 अगस्त, 2021 को पूरी हो गई
- इस दौरान अमेरिका ने 1.2 लाख से अधिक लोगों को काबुल से हवाई मार्ग के जरिये बाहर निकाला
वाशिंगटन : अफगानिस्तान में अमेरिका की 20 साल पुरानी सैन्य मौजूदगी अब समाप्त हो गई है। इसके साथ ही यहां दो दशकों तक चले युद्ध का अंत हो गया और तालिबान ने पूरी तरह अफगानिस्तान में सत्ता संभाल ली। इस दौरान अफगानिस्तान ने जो हिंसा, रक्तपात देखा व भुगता, उसने बड़े मानवीय संकट को भी सामने रखा।
अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों को आनन-फानन में वापस बुलाने के अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के फैसले की चौतरफा आलोचना भी हुई, लेकिन राष्ट्रपति ने अपने फैसले का बचाव किया और एयरलिफ्ट की प्रशंसा की। राष्ट्रपति जो बाइडन ने मंगलवार को देश को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिका ने इस दौरान 1 लाख 20 हजार से अधिक अफगानों, अमेरिकियों और अन्य सहयोगियों को हवाई मार्ग के जरिये संकटग्रस्त देश से बाहर निकाला, जो एक 'असाधारण सफलता' है। हालांकि 100 से अधिक अमेरिकी और अफगान अब भी पीछे छूट गए हैं।
अफगानिस्तान से सैन्य वापसी के अपने फैसले को लेकर मुश्किल सवालों का सामना कर रहे बाइडेन ने व्हाइट हाउस से अपने संबोधन में जोर देकर कहा कि यहां से सैन्य वापसी की योजना चाहे जब भी बनाई गई होती, हिंसा को टालना मुश्किल होता। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, 'जो लोग अफगानिस्तान में तीसरे दशक के युद्ध की बात कर रहे हैं, उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या इसमें महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हित क्या है?' उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि अफगानिस्तान में हजारों अमेरिकी सैनिकों को तैनात करने और अरबों डॉलर खर्च करने से अमेरिका की सुरक्षा में इजाफा हुआ है।'
यहां उल्लेखनीय है कि सी17 विमान के काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से सैनिकों के अंतिम समूह को लेकर रवाना होते ही अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य अभियान 31 अगस्त, 2021 को समाप्त हो गया। इसके बाद तालिबान लड़ाकों ने जीत का जश्न मनाने के लिए काबुल में हवा में गोलियां चलाईं। अफगानिस्तान में बीते करीब दो दशकों में अमेरिका की सैन्य मौजूदगी के दौरान चले संघर्ष में लगभग 2,500 अमेरिकी सैनिकों ने जान गंवाई, जबकि एक लाख से अधिक अफगान नागरिकों तथा अफगानिस्तान की राष्ट्रीय सेना और पुलिस के जवानों ने जान गंवाई। इस युद्ध में खरबों डॉलर का खर्च हुआ।