- G-20 दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है, जो 1997 में एशिया में आए वित्तीय संकट को देखते हुए 1999 में गठित हुआ था।
- अमेरिका अपने दम पर रूस को G-20 से नहीं निकाल सकता है। इसके लिए दूसरे देशों की सहमति भी जरूरी है।
- पहले से ही प्रतिबंधों की मार झेल रहा रूस, अगर G-20 से निलंबित हुआ तो वह दुनिया से अलग-थलग पड़ सकता है।
Russia-Ukraine War:अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूस को G-20 समूह के देशों से बाहर करने की अपील की है। ऐसा कर वह रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों को और कड़ा करना चाहे हैं। जिससे कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन पर हमला करने का सबक मिल सके। हालांकि अकेले अमेरिका के लिए ऐसा करना आसान नहीं है। दूसरी अहम बात यह है कि रूस पर पहले भी 2014 में क्रीमिया पर कब्जा करने के बाद G-8 देश प्रतिबंध लगा चुके हैं। उसे समूह से निलंबित कर दिया गया था। इसके बावजूद पुतिन ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर हमला कर दिया और करीब एक महीने से यूक्रेन में भारी तबाही मचा रहा है।
क्या है G-20
G-20 दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है, जो 1997 में एशिया में आए वित्तीय संकट को देखते हुए 1999 में गठित हुआ था। शुरू में समूह में विभिन्न देशों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंकों के प्रमुख शामिल होते थे । लेकिन बढ़ती अहमियत को देखते हुए, बाद में विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी शामिल होने लगे। समूह के पास दुनिया के कुल वैश्विक व्यापार का 75 फीसदी हिस्सा है। इसी तरह इन देशों में दुनिया का 85 फीसदी वैश्विक निवेश है। यह समूह दुनिया की कुल GDP का 80 फीसदी और दो-तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है।
कौन से देश हैं शामिल
G20 समूह में भारत, अमेरिका, रूस, चीन, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और यूरोपीय यूनियन के देश एक इकाई के रूप में शामिल हैं।
क्या अमेरिका अपने दम पर रूस को कर सकता है बाहर
अमेरिका अपने दम पर रूस को G-20 से नहीं निकाल सकता है। इसके लिए दूसरे देशों की सहमति भी जरूरी है। और इस बात का अहसास बाइडेन को भी है। इसीलिए उन्होंने कहा कि अगर रूस को हटाने पर सहमति नहीं बनती है तो यूक्रेन को समूह की बैठक के लिए आमंत्रित किया जाय। इंडोनेशिया में 15 नवंबर से G-20 की बैठक होने वाली है। असल में बाइडेन का प्रस्ताव का विरोध मेजबान इंडोनेशिया और रूस ने कर दिया है। दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने कहा है कि चीन G-20 का अहम देश है, ऐसे में उस पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है।
रूस दुनिया में हो जाएगा अलग-थलग
पहले से ही प्रतिबंधों की मार झेल रहा रूस, अगर G-20 से निलंबित हुआ तो वह दुनिया से अलग-थलग पड़ सकता है। इस बात का रूस को अहसास है। इसलिए रूस के प्रतिनिधि ने भी यह बयान जारी कर दिया है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इंडोनेशिया में होने वाली G-20 सम्मेलन में भाग लेंगे। जाहिर रूस ने भी आगे की चुनौती से निपटने के लिए तैयारी शुरू कर दी है।
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