- शहबाज ने संकल्प जताया कि नई सरकार प्रतिशोध की राजनीति में शामिल नहीं होगी
- शहजाब शरीफ जल्द देश के नए प्रधानमंत्री चुने जा सकते हैं
- शहबाज शरीफ 3 बार पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके हैं
लंबे समय तक चले हाई वोल्टेज ड्रामा के बाद आखिरकार इमरान खान पाकिस्तान की सत्ता से बेदखल हो गए हैं। पाकिस्तान नेशनल असेंबली के कुल 174 सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में मतदान किया। विपक्ष को इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित करने के लिए 172 वोट प्राप्त करने की आवश्यकता थी। अब विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ के पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री बनने को तैयार हैं।
प्रधानमंत्री पद के लिए विपक्ष की पसंद के रूप में शहबाज शरीफ की उम्मीदवारी का खुलासा पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने 30 मार्च को विपक्षी दलों की एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया था। शहबाज कथित तौर पर आज राष्ट्रपति आरिफ अल्वी से भी मुलाकात करेंगे। सदन के नेता को आधिकारिक रूप से चुनने के लिए नेशनल असेंबली सोमवार को दोपहर 2 बजे फिर से बैठक करेगी।
कौन हैं शहबाज शरीफ?
शहबाज शरीफ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष हैं। उनका जन्म 1950 में लाहौर में एक उद्योगपति परिवार में हुआ था और वह पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के छोटे भाई हैं। उन्होंने तीन कार्यकालों के लिए पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री के रूप में भी कार्य किया। शहबाज शरीफ ने अगस्त 2018 में प्रधानमंत्री की कुर्सी के लिए दावा पेश किया था। हालांकि, भुट्टो के नेतृत्व वाली पीपीपी ने आखिरी समय में पीएम वोट से दूर रहने का फैसला किया, जिसने इमरान खान का प्रधानमंत्री के रूप चुना जाना सहज कर दिया। वह लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी से स्नातक हैं। 1985 में शरीफ लाहौर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष बने।
वह 1988 में पहली बार पंजाब प्रांतीय विधानसभा के लिए चुने गए और 1990 में नेशनल असेंबली के लिए चुने गए। उन्होंने 1993 में फिर से प्रांतीय चुनाव लड़ा और पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता बने। 1997 में वे पहली बार पंजाब प्रांत के सीएम बने। 1999 में तत्कालीन पाकिस्तानी सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ द्वारा सैन्य तख्तापलट के बाद शहबाज शरीफ को जेल में डाल दिया गया था और बाद में उन्हें सऊदी अरब में निर्वासित कर दिया गया था। पीएमएल-एन प्रमुख 2007 में पाकिस्तान लौट आए और अगले साल वे तीसरी बार पंजाब प्रांत के सीएम बने। पनामा पेपर्स से जुड़े एक मामले में उनके बड़े भाई के दोषी पाए जाने के बाद 2017 में उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश किया। फरवरी 2018 में उन्हें पीएमएल-एन के अध्यक्ष के रूप में निर्विरोध चुना गया।
शहबाज शरीफ को सितंबर 2020 में राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (NAB) ने गिरफ्तार किया था क्योंकि उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक शहबाज के पाकिस्तानी आर्मी से अच्छे संबंध हैं।