- भारत सरकार ने गत 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे 370 को खत्म कर दिया
- अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर मसले को उठाने की पाकिस्तान की हर कोशिश हुई नाकाम
- विदेशी शिष्टमंडल कश्मीर का दौरा कर चुका है, घाटी में जनजीवन पटरी पर लौट आया है
बॉन (जर्मनी) : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि कश्मीर मसले पर उन्हें अतरराष्ट्रीय समुदाय का साथ नहीं मिला और इस मुद्दे पर दुनिया के देशों ने उदासीन रवैया अपनाया। जर्मनी के सरकारी स्वामित्व वाले मीडिया 'डी डब्ल्यू' को दिए अपने एक साक्षात्कार में खान ने कहा कि कश्मीर मसले पर दुनिया का 'बेपरवाह एवं उदासीन' रवैया देखने को मिला क्योंकि 'पश्चिमी देशों के लिए उनके व्यापारिक हित ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।'
रिपोर्ट के मुताबिक इमरान खान ने कहा, 'दुर्भाग्यवश, पश्चिमी देशों के लिए व्यापारिक हित ज्यादा अहम हैं। भारत एक बड़ा बाजार है और कश्मीर के 80 लाख लोगों के साथ जो कुछ हो रहा है उसके पीछे उदासीन रवैया हने का यही कारण है।'
यह पूछे जाने पर कि कश्मीर समस्या पर क्या दुनिया कम ध्यान दे रही है। इस पर पाकिस्तान के पीएम ने कहा, 'आप देखें कि हांगकांग के प्रदर्शनों को मीडिया में कितनी जगह मिल रही है जबकि उसकी तुलना में कश्मीर की समस्या ज्यादा बड़ी है।' भारत द्वारा अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव पर खान ने कहा, 'भारत में जो कुछ हो रहा है उसके बारे में दुनिया को आगाह करने वाला मैं पहला नेता था। भारत में चरमपंथी 'हिंदुत्व' की विचारधारा हावी हो गई है। यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा है।' इमरान ने कहा कि आरएसएस की विचारधारा अल्पसंख्यकों के प्रति नफरत भरा नजरिया रखती है।
उन्होंने कहा, 'जब मैं प्रधानमंत्री बना तो मैंने भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने की पहल की। मैंने कहा कि भारत यदि एक कदम आगे बढ़ता है तो मैं हम दो कदम आगे बढ़ेंगे लेकिन मुझे बाद में अहसास हो गया कि आरएसएस की विचारधारा के चलते भारत ने कोई जवाब नहीं दिया।'
इमरान खान का कश्मीर पर यह बयान ऐसे समय आया है जब संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में इस मसले को एक बार फिर उठाने की चीन और पाकिस्तान की कोशिश नाकाम हो चुकी है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने गुरुवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का मानना है कि कश्मीर मसले पर चर्चा करने के लिए यह उपयुक्त मंच नहीं है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने एक सदस्य के जरिए यूएनएससी में कश्मीर मुद्दे को उठाने की फिर कोशिश की लेकिन परिषद के सदस्यों ने बहुमत से उसके इस कोशिश को असफल कर दिया।