- मलेशिया में सीनेट अध्यक्ष और राजनीतिक पार्टियों ने की पीएम महाथिर बिन मोहमद की आलोचना
- कहा- मलेशिया से कहीं ज्यादा मजबूत है भारत का लोकतंत्र
- बिना जानकारी दूसरे देश के आंतरिक मामले में दखल नहीं देने की दी सलाह
नई दिल्ली: मलेशिया में सीनेट अध्यक्ष और मलेशियन इंडियन कांग्रेस (एमआईसी) के प्रमुख विग्नेश्वरन सनासे ने भारत के आंतरिक मामलों में मलेशियाई प्रधानमंत्री महाथिर बिन मोहम्मद सरकार के हस्तक्षेप की कड़ी आलोचना की है और उनसे पहले अपने गैर-मुस्लिम नागरिकों को अधिक से अधिक लोकतांत्रिक और समान अधिकार देने का आग्रह किया है। मलेशियन इंडियन कांग्रेस मलेशिया की एक राजनीतिक पार्टी है।
भारत के नए नागरिकता कानून पर पीएम महाथिर की आलोचना पर सनासे ने कहा, 'किसी भी देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना एक अहम राजनयिक अभ्यास होता है।' उन्होंने सरकार को याद दिलाया कि मलेशिया ने खुद भी भारतीय भगोड़े और इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक को स्थाई निवास देने के मामले में भारत को हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी थी।
मीडिया को जारी एक बयान में मलेशियाई सीनेट अध्यक्ष ने कहा, 'भारत की आंतरिक नीतियों और कानूनों के खिलाफ हमारे नेताओं की ओर से दिए गए बयानों ने मुझे अचंभित कर दिया गया है। जब हमें किसी नीति की सटीक जानकारी नहीं है तो हमें कोई बयान नहीं देना चाहिए। न ही हमें धार्मिक एकजुटता के नाम पर भावनात्मक तौर पर नाराजगी जाहिर करनी चाहिए।'
प्रधानमंत्री महाथिर पर अन्य जातियों और धर्मों का अपमान करने और अपने खुद के धार्मिक एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि भारत के मामले में दखल देना पूरी तरह से अनुचित था।
सनासे ने कहा, 'हमें अन्य देशों की आलोचना करने से बचना चाहिए क्योंकि इससे अंततः हमारी आलोचना को न्योता मिलता है। हमारे देश को वास्तव में दूसरे राष्ट्र की नीतियों पर टिप्पणी से पहले अपने यहां अधिकारों के समान वितरण का अभ्यास करना चाहिए।' उन्होंने महाथिर को याद दिलाया कि भारत की तुलना में मलेशिया में लोकतंत्र सही अर्थों में बहुत सीमित स्थिति में है।'
भारत का जोरदार समर्थन करते हुए, मलेशियन इंडियन कांग्रेस ने कहा, 'भारत ने कभी भी अपने गैर-हिंदू नागरिकों पर जबरन संस्कृत का अध्ययन करने के लिए कोई शैक्षणिक नीतियां नहीं बनाई हैं! लेकिन मलेशिया के सरकारी स्कूलों में हर हाल में जावी पढ़ना जरूरी है और यह बात गैर-मुस्लिमों के लिए भी लागू होती है।'
गौरतलब है कि मलेशिया के प्रधानमंत्री महाथिर बिन मोहमद ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र में उठाया था और कहा था कि भारत ने कश्मीर में आक्रमण करके कब्जा किया है। इसके बाद नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भी महाथिर मोहमद ने भारत आंतरिक मामलों पर बयान दिए।