- पूर्व सोवियत यूनियन के देश रह चुके हैं जॉर्जिया और माल्डोवा
- यूरोपीय संघ की सदस्यता पाने के लिए आवेदन पर हस्ताक्षर किए
- इस कदम से रूस के साथ उनका टकराव शुरू हो सकता है
म्यूनिख : पूर्व सोवियत यूनियन के दो देशों जॉर्जिया और माल्डोवा ने यूरोपी संघ की सदस्यता पाने के लिए आवेदन दिया है। इन दोनों देशों ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है। इससे रूस भड़क सकता है और गतिरोध एवं टकराव का नया मोर्चा खुल सकता है। दो दिन पहले यूक्रेन ने कहा कि जल्द से जल्द यूरोपीय संघ की सदस्यता पाना चाहता है। जॉर्जिया के प्रधानमंत्री इराकली गैरीबश्विली ने कहा है कि ईयू की सदस्यता पाने के लिए उनके देश ने औपचारिक रूप से आवेदन पर हस्ताक्षर किए हैं।
पश्चिमी देशों के साथ संबंध मजबूत करना चाहते हैं दोनों देश
माल्डोवा के राष्ट्रपति माइया सैंडू ने कहा कि यूरोपीय संघ में शामिल होने के लिए उनके देश ने आवेदन पर हस्ताक्षर किए हैं। अलजजीरा के मुताबिक उन्होंने कहा, 'हम सुख-शांति से जीना चाहते हैं। हम स्वतंत्र दुनिया का हिस्सा बनना है। कुछ फैसले करने में समय लगता है लेकिन कुछ पर तेजी से और निर्णायक फैसले करने होते हैं। बदलती दुनिया में अवसरों का लाभ उठाना चाहिए।' जॉर्जिया एवं माल्डोवा दोनों देश पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंध और मजबूत करना चाहते हैं, यह बात रूस को नागवार गुजरती है।
रूस के पड़ोसी देश हैं माल्डोवा, जॉर्जिया
ये दोनों रूस के पड़ोसी देश हैं। रूस के साथ माल्डोवा की 1, 200 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है जबकि रूस का 900 किलोमीटर दक्षिणी हिस्सा जॉर्जिया के साथ लगता है।
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यूक्रेन पर रूस के हमले का नौवां दिन
यूक्रेन पर हमले का आज नौवां दिन है। खारकीव में रूस ने भीषण हमले किए हैं। अब रूस की नजर राजधानी कीव पर है। वह राजधानी पर अपना नियंत्रण करना चाहता है। गुरुवार को कीव के रेलवे स्टेशन पर मिसाइल से हमला हुआ। रक्षा जानकारों का मानना है कि कीव में दोनों देशों के बीच भीषण लड़ाई हो सकती है। इन नौ दिनों की लड़ाई में कई शहरों पर रूस सेना का कब्जा हो गया है। निर्दोष नागरिक मारे गए हैं और इमारतें क्षतिग्रस्त एवं बर्बाद हुई हैं। युद्ध छिड़ने के बाद लोगों में दहशत है और वे डरे हुए हैं।
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'यूक्रेन के लिए सबसे बुरा होना अभी बाकी'
लोग सुरक्षित ठिकानों की तलाश में पड़ोसी देशों में पहुंचे हैं। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि युद्ध शुरू होने के बाद यूक्रेन से 10 लाख लोग पलायन कर चुके हैं और आने वाले दिनों में यह संख्या और बढ़ने वाली है। गुरुवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंको ने व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बातचीत की। मैंक्रो ने कहा कि यूक्रेन के लिए 'बुरा समय' अभी आने वाला है।