- नेपाल के पीएम के पी शर्मा ओली अस्पताल में भर्ती, चेस्ट पेन की शिकायत
- डाक्टरों का कहना है कि हालत स्थिर, स्ट्रेस की वजह से आई परेशानी
- भारत के साथ रिश्तों और पार्टी के अंदर दबाव से परेशान हैं ओली
नई दिल्ली। नेपाल के पीएम के पी शर्मा ओली को काठमांडू के गंगालाल नेशनल हॉर्ट सेंटर में भर्ती कराया गया है। उन्होंने चेस्ट पेन की शिकायत की थी। बताया जा रहा है कि पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत नासाज थी। नेपाल और भारत के रिश्तों के बीच उनके ऊपर न केवल विपक्षी दलों का दबाव है बल्कि पार्टी के अंदर भी टकराव है। कम्यूनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ऊर्फ प्रचंड ने तो उनके इस्तीफे की मांग की थी। यहां यह जानना जरूरी है कि मंगलवार को नेपाल में ओली कैबिनेट की आपात बैठक भी हुई थी।
ओली का हो रहा है विरोध
के पी शर्मा ओली पर आरोप लग रहा है कि उन्होंने चीन के हाथों में नेपाल की विदेश नीति गिरवी रख दी है। उनकी पार्टी के अंदर से आवाज आ रही है कि आखिर वो भारत के साथ रिश्तों को क्यों खराब कर रहे हैं। भारत के साथ नेपाल का सिर्फ राजनीतिक रिश्ता ही नहीं है, बल्कि रोटी और बेटी का संबंध भी जुड़ा हुआ है। विपक्षी दल के साथ साथ उनकी पार्टी सवाल पूछ रही है आखिर ऐसा क्या हुआ कि वो भारत के खिलाफ इतना सख्त स्टैंड ले रहे हैं।
भारत के साथ रिश्तों में आई तल्खी
नेपाल के साथ भारत के रिश्ते सिर्फ कागजों पर अंकित कुछ शब्दों से जुड़े हुए नहीं हैं, बल्कि दोनों देशों के बीच रोटी और बेटी का संबंध रहा है। रोटी और बेटी के संबंध से दोनों देशों के बीच आत्मीयता को समझा जा सकता है। लेकिन जिस तरह से हाल में के पी शर्मा ओली सरकार ने टकराव का रास्ता अख्तियार किया है उसे लेकर उनकी पार्टी में ही मतभेद है। पुष्प कमल दहल ऊर्फ प्रचंड ने एक तरह से मोर्चा खोल रखा ह़ै जिसे ओली अपने खिलाफ भारत की साजिश देख रहे हैं। उन्होंने इशारे इशारे में यहां तक कह डाला कि भारतीय दूतावास उन्हें अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है।
प्रचंड ने मांगा है ओली का इस्तीफा
कम्यूनिस्ट पार्टी के कार्यकारी चेयरमैन पुष्प कमल दहल ऊर्फ प्रचंड का कहना है कि अगर पीएम ने इस्तीफा नहीं दिया तो वो पार्टी को तोड़ देंगे। प्रचंड का कहना है कि नेपाल की विदेश नीति को एक खास देश के लिए गिरवी रख दी गई है। यहां समझना जरूरी है कि नेपाल को पिछलग्गू बनने की जरूरत नहीं है। प्रचंड का कहना है कि के पी शर्मा ओली अपनी सरकार बचाने के लिए किसी हद तक जा सकते हैं। यहां तक कि वो सेना की सहारा लेर पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे मॉडल को अपना सकते हैं।