- पाकिस्तानी आर्मी चीफ जरनल कमर जावेद बाजवा का हैरान करने वाला बयान
- बाजवा बोले- सुरक्षित भविष्य के लिए क्षेत्र में शांति की स्थापना की जाए
- बाजवा का बयान है हकीकत से परे, इसके लिए खत्म करना होगा आतंकवाद
इस्लामाबाद: भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनावपूर्ण रिश्तों के बीच पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने एक ऐसा बयान दिया है जो उनकी छवि के उलट है। इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं और इसे भारत के साथ बाचतीच की पेशकश के रूप में भी देखा जा रहा है। बाजवा ने मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान बयान देते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है कि सुरक्षित भविष्य के लिए शांति की स्थापना की जाए।
कमजोरी ना समझी जाए- बाजवा
रावलपिंडी में पाकिस्तान वायु सेना अकादमी में एक समारोह को संबोधित करते हुए जनरल बाजवा ने कहा, "यह सभी दिशाओं में शांति के लिए हाथ बढ़ाने का समय है। किसी को भी पाकिस्तान की शांति की पेशकश को उसकी कमजोरी की निशानी के रूप में नहीं देखना चाहिए।' बाजवा का यह बयान ऐसे समय में आया है जब वह बालाकोट स्ट्राइक, सर्जिकल स्ट्राइक तथा जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद से लगातार भारत के खिलाफ तीखा हमला करते रहे हैं और ऐसे में उनके रूख में नरमी चौंकाने वाली है।
कश्मीर का जिक्र
जनरल बाजवा ने एक बार फिर पाकिस्तान को एक शांतिप्रिय देश बताते हुए कहा कि उसने क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए कई बलिदान दिए हैं। हालांकि यहां भी वह कश्मीर राग अलापने से नहीं चूके और कहा कि कि कश्मीर की कीमत पर भारत के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लंबित विवाद का समाधान कश्मीरियों की आकांक्षाओं के अनुरूप गरिमापूर्ण और शांतिपूर्ण तरीके से करना चाहिए।
हकीकत से परे है बयान
बाजवा का यह बयान उनकी सेना की हरकतों से तो बिल्कुल मेल नहीं खाता है। अगर वो वाकई में शांति चाहते हैं तो पहले उन्हें अपनी धरती पर मौजूद आतंकवादी शिविरों को खत्म करना होगा और नफरत और हिंसा का प्रचार करने वाले लोगों का समर्थन करना बंद करना होगा। जनरल बाजवा शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं क्योंकि पाकिस्तान सेना द्वारा आतंकवादियों की सभी गतिविधियों को नियंत्रित किया जाता है।
बयान के और भी कई मायने
बाजवा के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। बाजवा के बयान का पहला मतलब ये है कि वह अब समझ चुके हैं कि भारत के आतंक के मोहरे से नहीं जीता जा सकता है। अगर वो वाकई में शांति चाहते हैं तो यह बयान उप-महाद्वीप के इतिहास में एक टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकता है क्योंकि कोई भी युद्ध नहीं चाहता। हर कोई शांति और विकास चाहता है। लेकिन तथ्य यह है कि भारत के साथ तीन पारंपरिक युद्ध हारने के बाद पाकिस्तान पिछले तीन दशकों से जम्मू-कश्मीर में छद्म युद्ध लड़ रहा है और वह लड़ाई भी हार गया है।