पेशावर : पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी के सदस्यों के नेतृत्व में भीड़ द्वारा एक हिंदू मंदिर में की गई तोड़फोड़ की घटना में शामिल होने के आरोप में पुलिस ने रात भर की गई छापेमारी के दौरान दस और लोगों को गिरफ्तार किया है। इसके साथ ही इस मामले में गिरफ्तार किये गये आरोपियों की संख्या बढ़कर 55 हो गई है।
खैबर पख्तूनख्वा में करक जिले के टेरी गांव में कुछ लोगों ने बुधवार को मंदिर के विस्तार कार्य के खिलाफ उसमें तोड़फोड़ की और आग लगा दी थी। इस घटना के सिलसिले में दर्ज की गई प्राथमिकी में 350 से अधिक लोगों के नाम हैं। प्राथमिकी में जिन अन्य आरोपियों के नाम हैं, उनकी तलाश की जा रही है। इस मंदिर में एक हिंदू धार्मिक नेता की समाधि थी। मंदिर की दशकों पुरानी इमारत के जीर्णोद्धार के लिए हिंदू समुदाय ने स्थानीय अधिकारियों से अनुमति ली थी।
कुछ स्थानीय मौलवियों और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पार्टी (फजल उर रहमान समूह) के समर्थकों की अगुवाई में भीड़ ने पुराने ढांचे के साथ-साथ नए निर्माण कार्य को ध्वस्त कर दिया। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के नेताओं ने मंदिर पर हमले की कड़ी निंदा की है।
भारत जता चुका है आपत्ति
भारत ने भी मंदिर में तोड़फोड़ की घटना को लेकर पाकिस्तान के समक्ष विरोध दर्ज कराया और इस घटना के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किये जाने की मांग की है। सूत्रों ने नई दिल्ली में शुक्रवार को बताया था कि राजनयिक माध्यम से पाकिस्तान के समक्ष विरोध दर्ज कराया गया है।
इस बीच पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने हिंदू मंदिर में तोड़फोड़ की घटना को लेकर भारत के विरोध को शनिवार को 'पूरी तरह से अनुचित' करार दिया। खैबर-पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री महमूद खान ने आश्वासन दिया है कि उनकी सरकार जितनी जल्दी संभव हो सकेगा, क्षतिग्रस्त मंदिर और समाधि का पुनर्निमाण कराएगी। मुख्यमंत्री के विशेष सूचना सलाहकार कामरान बंगश ने कहा कि प्रांत में धार्मिक सहिष्णुता कायम की जाएगी।
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से शनिवार देर जारी अधिसूचना के अनुसार खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने मंदिर को हुए नुकसान के आकलन के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया है। साथ ही इसके पुनर्निमाण के लिए हिंदू समुदाय के साथ विचार-विमर्श किया है।