- शुक्रवार को पाकिस्तानी रूपया डॉलर के मुकाबले 200 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।
- थोक महंगाई दर 13 साल के उच्चतम स्तर पहुंच गई है। जो कि अप्रैल में 28.2 फीसदी के स्तर पर है।
- पाकिस्तान के उपर जीडीपी का 74 फीसदी कर्ज है।
Pakistan In Crisis:पाकिस्तान के लोग अब विदेश से आए सूखे मेवे, शैम्पू, मांस, क्रॉकरी के सामान और मोबाइल फोन जैसी 41 जरूरी चीजें भी नहीं खरीद पाएंगे। ऐसा इसलिए हुआ है कि इमरान खान को हटाकर अप्रैल में सत्ता में आए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार ने इस तरह के उत्पादों के आयात पर रोक लगी दी है। रोक लगाने की वजह खुद शरीफ ने बताई है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि लग्जरी वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगाने के मेरे निर्णय से देश की बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
अब सवाल उठता है कि ऐसी नौबत क्यों आई
तो इस सवाल को समझने के लिए कुछ आंकड़ों पर गौर करना चाहिए। शहबाज शरीफ जिस विदेशी मुद्रा भंडार की बात कर रहे हैं, वह पाकिस्तान में 29 महीने के रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। 13 मई को पाकिस्तान का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 16.1 अरब डॉलर पहुंच गया, जबकि आयात के लिए स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा भंडार केवल 10.16 अरब डॉलर रह गया है। जो कि पाकिस्तान की आयात जरूरतों को केवल डेढ़ महीने तक पूरा सकता है। जबकि अच्छी स्थिति के लिए कम से कम किसी देश के पास 7 महीने का विदेशी मुद्रा भंडार होना चाहिए।
दूसरा अहम आंकड़ा पाकिस्तानी रूपये का है। जो कि अपने रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। शुक्रवार को पाकिस्तानी रूपया डॉलर के मुकाबले 200 के स्तर पर पहुंच गया है। यानी एक डॉलर की कीमत 200 रुपये हो गई है। पाकिस्तानी रूपये की रिकॉर्ड गिरावट से महंगाई और बढ़ने का डर है।
तीसरा अहम आंकड़ा महंगाई का है। ट्रेडिंग इकोनॉमिस्क की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में थोक महंगाई दर 13 साल के उच्चतम स्तर पहुंच गई है। अप्रैल में थोक महंगाई दर 28.2 फीसदी पर पहुंच गई है। इसी तरह रिटेल महंगाई दर 13.4 फीसदी पर पहुंच गई है। जो कि जनवरी 2021 के बाद सबसे उच्च स्तर पर है।
चौथा और बेहद अहम आंकड़ा पाकिस्तान के कुल कर्ज का है। जो कि दिसंबर 2021 में 51 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। इस कर्ज में करीब 21 लाख करोड़ रुपया विदेशी कर्ज है। और IMF की रिपोर्ट बताती है पाकिस्तान के उपर अपनी जीडीपी का 74 फीसदी कर्ज है।
अब ऐसी स्थिति में जब किसी देश की मुद्रा रिकॉर्ड निचले स्तर पर हो, आयात के लिए केवल 1.5 महीने की विदेशी मुद्रा मौजूद हो और कर्ज भी रिकॉर्ड स्तर पर हो, साथ ही महंगाई ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं, तो उसकी आर्थिक हालत अच्छी नहीं कहीं जा सकती है। और यही कारण है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शैंपू, फोन, सूखे मेवे, होम अप्लायंसेज, जूते, झूमर , सेनेटरी वेयर जैसी आम चीजों के आयात पर प्रतिबंध लगाना पड़ रहा है।
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श्रीलंका जैसे हालात
पाकिस्तान में ऐसी स्थिति होने के बाद यही सवाल जेहन में है कि क्या उसकी भी स्थिति श्रीलंका जैसी हो जाएगी। क्योंकि श्रीलंका में अप्रैल में महंगाई दर 29.8 फीसदी पर पहुंच चुकी है। और उसका विदेशी मुद्रा भंडार न के बराबर है। इसीलिए उसने पहली बार डिफॉल्ट भी कर दिया है। श्रीलंका पर करीब 51 अरब डॉलर का कर्ज है। जिसकी देनदारी चुकाने में वह फेल हो गया। ऐसा ही सवाल पाकिस्तान के वित्त मंत्री से खाड़ी देश के एक मीडिया हाउस ने इंटरव्यू के दौरान किया। इस पर वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने कहा डिफॉल्ट की कोई संभावना नहीं है, हमारे पास अपने विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने की रणनीति है और आप देखेंगे कि वे बढ़ना शुरू हो जाएंगे।
भले ही पाकिस्तान के वित्त मंत्री कह रहे हैं कि हमारे पास रणनीति है और हम डिफॉल्ट नहीं करेंगे। लेकिन जिस देश के पास केवल 1.5 महीने का विदेशी मुद्रा भंडार बचा हो और अर्थव्यवस्था के सारे सूचकांक खतरे का संकेत दे रहो हो, उसके लिए बिल्ली देख कर कबूतर के आंख बंद कर बैठने जैसी स्थिति है। पाकिस्तान की सारी उम्मीद आईएमएफ से मिलने वाले 6 अरब डॉलर के कर्ज पर टिकी हुई है। जिसे पाने में पाकिस्तान पिछले 3 बार से असफल हो रहा है।