- इमरान खान की सरकार के खिलाफ विपक्ष का धरना-प्रदर्शन जारी है
- विपक्ष ने 2018 के आम चुनाव में धांधली का आरोप लगाया है
- प्रदर्शनकारी किसी भी सूरत में पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में इमरान खान के खिलाफ विपक्ष का धरना-प्रदर्शन जारी है। दक्षिणपंथी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआई-एफ) के नेता मौलाना फजलुर्रहमान की अगुवाई में प्रदर्शनकारी इस्लामाबाद में डटे हैं। प्रदर्शन शुक्रवार को आठवें दिन में प्रवेश कर गया है। इस बीच विपक्ष ने इमरान खान को इस्तीफा देने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। प्रदर्शनकारियों का साफ कहना है कि अगर शनिवार तक इमरान खान ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया तो सरकारी विरोधी यह प्रदर्शन और अधिक व्यापक होगा।
मौलाना फजलुर्रहमान की अगुवाई में आयोजित इस प्रदर्शन को 'आजादी मार्च' नाम दिया गया है, जिसे पाकिस्तान की प्रमुख विपक्षी पार्टियों पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) का भी समर्थन हासिल है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पाकिस्तान में साल 2018 में हुई आम चुनावों में धांधली हुई और इसी वजह से इमरान खान जीते। उन्होंने इमरान खान से इस्तीफा देने की मांग करते हुए देश में फिर से निष्पक्ष चुनाव कराए जाने को भी कहा है।
'आजादी मार्च' के अगुवा मौलाना फजलुर्रहमान ने गुरुवार को हजारों समर्थकों को संबोधित करते हुए दो टूक कहा कि सरकार के प्रतिनिधि प्रधानमंत्री का इस्तीफा लिए बगैर उनसे मिलने और बातचीत के लिए नहीं आएं। उन्होंने इमरान खान को लेकर कहा, 'अब आप ऐसी जगह पहुंच गए हैं, जहां से आगे जाने का कोई रास्ता नहीं है और अब फैसला आपको करना है कि आप वहीं (पीएम पद पर) बने रहना चाहते हैं या वहां से हटेंगे और लोगों को उनके अधिकार वापस देंगे।'
वहीं, जेयूआई-एफ के वरिष्ठ नेता अकरम खान दुर्रानी ने कहा कि अगर शनिवार तक इमरान का इस्तीफा नहीं आया तो 'आजादी मार्च' नई शक्ल लेगा। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता दृढ़ हैं और वे तीन महीने तक यहां रुक सकते हैं।
इससे पहले मौलाना फजलुर्रहमान ने चेतावनी दी थी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई, तो देश में अराजकता फैलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि धरना-प्रदर्शन राष्ट्रीय जिम्मेदारी पूरी करने के लिए हो रहा है, न कि रोज रात को यहां (प्रदर्शन स्थल) 'मुजरा' होता है। उन्होंने कहा कि यहां सम्मानजनक लोग बैठे हैं और वे अय्याशी करने के लिए यहां नहीं आए हैं, बल्कि देश के लिए अपनी जिम्मेदारी को पूरा करने के मकसद से यहां एकजुट हैं।