- इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान तीन अप्रैल को होगा
- 31 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पर बहस होगी
- सत्ता में बने रहने के लिए कम से कम 172 सांसदों के समर्थन की जरूरत है
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की कुर्सी जाने वाली है। उससे पहले वो बुधवार को अपने मुल्क की अवाम को संबोधित करने वाले थे पर अचानक उन्होंने अपना ये प्लान कैंसिल कर दिया। इमरान ने अपने कदम पीछे तब खींचे, जब आर्मी चीफ बाजवा और ISI चीफ इमरान से मिलने अचानक उनके घर पहुंच गए। इमरान की हुकूमत को कल सबसे बड़ा झटका लगा। ऐसा झटका, जो उनसे गद्दी छीन लेगा। विपक्षी दलों ने एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जिसमें MQM पार्टी ने इमरान सरकार का साथ छोड़ने का आधिकारिक ऐलान कर दिया। इस ऐलान से इमरान के तख्तापलट पर मुहर लग गई है। MQM-P के साथ छोड़ने का मतलब है कि इमरान की हुकूमत के ताबूत में आखिरी कील ठुक गई है क्योंकि MQM-P के पास 7 सांसद हैं।
MQM-P के समर्थन वापस लेने के बाद इमरान सरकार में अब सिर्फ 164 सांसद ही बचे हैं, जबकि विपक्ष के पास 177 सांसदों का समर्थन है। नेशनल असेंबली में बहुमत के लिए 172 का आंकड़ा होना जरूरी है। इस जादुई आंकड़े से इमरान पीछे हैं, जबकि विपक्ष आगे।
इस बीच पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के वरिष्ठ नेता फैसल वावड़ा ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री इमरान खान की जान खतरे में है क्योंकि उनकी हत्या की साजिश रची गई है।
विपक्ष की तरफ से ये भी ऐलान किया जा चुका है कि पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ को इमरान खान के हटने के बाद नया प्रधानमंत्री बनाया जाएगा। इमरान खान की पार्टी पीटीआई के सदन में 155 सांसद हैं। पाकिस्तान के इतिहास में अब तक किसी भी प्रधानमंत्री को अविश्वास प्रस्ताव के जरिए नहीं हटाया गया है, लेकिन इस चुनौती का सामना करने वाले इमरान खान तीसरे प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले इमरान खान ने अपनी पार्टी के सदस्यों को सख्त निर्देश दिया कि वह अवश्विास प्रस्ताव पर मतदान के दिन या तो सदन में अनुपस्थित रहें या फिर मतदान में भाग नहीं लें। अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान 3 अप्रैल को होगा।
एमक्यूएम- पी का विपक्ष के साथ जाना इमरान खान के लिए क्यों पड़ेगा भारी, इस तरह समझें