- पाकिस्तान की नई सुरक्षा पॉलिसी में भारत के साथ शांति स्थापित करने की मांग
- पॉलिसी में कश्मीर जैसे मसले को ठंडे बस्ते में डालने की बात कही गई है
- पांच अगस्त 2019 के बाद से बेहद खराब दौर से गुजर रहे हैं दोनों देश के रिश्ते
नई दिल्ली : आजादी के बाद से ही भारत के साथ दुश्मनी साधने वाले पाकिस्तान को अब यह बात शायद समझ में आ गई है कि देश को प्रगति एवं विकास के रास्ते पर ले जाने के लिए उसे शत्रुतापूर्ण रवैया छोड़कर नई दिल्ली के साथ शांति स्थापित करनी होगी। पाकिस्तान की नई सुरक्षा नीति में व्यापक बदलाव की बात सामने आई है। इस नई सुरक्षा नीति में पड़ोसी देशों के साथ तुरंत शांति कायम करने एवं आर्थिक कूटनीति पर जोर देने की बात कही गई है। पाकिस्तान इस समय महंगाई सहित कई घरेलू समस्याओं से घिरा हुआ है और उसकी अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय कर्ज में डूबी हुई है।
कश्मीर जैसे मसले को ठंडे बस्ते में डालने का सुझाव
समझा जाता है कि देश की वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए इस नई सुरक्षा नीति को तैयार किया गया है। इस नई सुरक्षा नीति की खास बात यह है कि कश्मीर जैसे मसले को ठंडे बस्ते में डालने का सुझाव दिया गया है। ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक यह सुरक्षा नीति शुक्रवार को जारी होनी है। रिपोर्ट में नई सुरक्षा नीति के बारे में जानकारी रखने वाले अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि 100 पन्ने वाली इस नई सुरक्षा नीति में कश्मीर मसले के समाधान के बिना भारत के साथ कारोबार शुरू करने का सुझाव दिया गया है।
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पड़ोसी देशों के साथ तुरंत शांति स्थापित करने की मांग
अधिकारी ने कहा, 'हम भारत के साथ अगले 100 वर्षों तक दुश्मनी नहीं निभाने जा रहे हैं। नई पॉलिसी में अपने पड़ोसी देशों के साथ तुरंत शांति स्थापित करने की मांग की गई है।' अधिकारी ने आगे कहा कि भारत के साथ यदि बातचीत होती है और यह प्रक्रिया आगे बढ़ती है तो पिछले समय की तरह दोनों देशों के बीच कारोबार शुरू हो सकता है। बता दें कि जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने और राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के बाद दोनों देशों के रिश्ते बेहद खराब दौर से गुजर रहे हैं। पांच अगस्त 2019 के भारत सरकार के फैसले पर जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान ने नई दिल्ली के साथ अपने राजनयिक संबंधों में कटौती करते हुए द्विपक्षीय व्यापार पर रोक लगा दी।
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खराब दौर से गुजर रहे हैं दोनों देशों के रिश्ते
हालांकि, पिछले साल फरवरी में एक समय ऐसा भी आया जब लगा कि दोनों देश अपने रिश्ते सामान्य करना चाहते हैं। दरअसल, दोनों देशों ने एलओसी पर संघर्षविराम को बहाल करने का फैसला किया। इसी समय भारत ने भी पीएम इमरान खान को श्रीलंका जाने के लिए अपने वायु क्षेत्र के इस्तेमाल की अनुमति दी। इन सकारात्मक पहलों ने कुछ उम्मीद जगाई लेकिन इसके आगे दोनों देश नहीं बढ़ सके। बहरहाल, पाकिस्तान को यह बात देर से समझ में आई है कि देश की आर्थिक हालत एवं अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए उसे अपने पड़ोसी देशों खासकर भारत के साथ मित्रतापूर्ण संबंध रखना होगा। भारत के साथ शत्रुतापूर्ण रवैया रखने से उसे नुकसान होगा।