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[VIDEO] पाकिस्‍तान का दोहरा रवैया फिर सामने आया, PoK में 'आजादी' की मांग करने वालों पर बरसाई लाठियां

Updated Oct 22, 2019 | 19:37 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Protest against PAK in PoK: पाकिस्‍तान यूं तो कश्‍मीर के लोगों का हिमायती होने का दावा करता है, पर PoK में जब 'आजादी' की मांग उठी तो शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर उसने फिर लाठियां बरसाई। 

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तस्वीर साभार:&nbspANI
पीओके में पाक‍िस्‍तान के खिलाफ जबरदस्‍त प्रदर्शन हुआ है
मुख्य बातें
  • पाकिस्‍तान के कब्जे वाले कश्‍मीर (PoK) में आजादी की मांग को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए
  • प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे, फिर भी पुलिस ने बल प्रयोग किया
  • पीओके में लोग 22 अक्‍टूबर, 1947 को पाकिस्‍तान के हमले के बाद से ही प्रदर्शन करते आ रहे हैं

मुजफ्फराबाद : पाकिस्‍तान के कब्‍जे वाले कश्‍मीर (PoK) में आजादी की मांग को लेकर हजारों की संख्‍या में लोग सड़कों पर उतर आए, जिस दौरान पाकिस्‍तानी पुलिस व सुरक्षा बलों का जनविरोधी चेहरा एक बार फिर सामने आया। यहां आजादी की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे लोगों पर पुलिस ने लाठियां बरसाई, जिसमें बुरी तरह घायल दो लोगों ने दम तोड़ दिया, जबकि 80 से अधिक घायल हो गए।

पीओके में आजादी की मांग को लेकर रैली का आयोजन ऑल इंडिप‍ेंडेंट पार्टिज अलायंस (AIPA) के बैनर तले किया गया, जिसमें कई राजनीति दलों ने शिरकत की। उन्‍होंने 22 अक्‍टूबर (मंगलवार) को 'काला दिवस' मनाया। यहां गौरतलब है कि पाकिस्‍तानी फौज ने कबायलियों के भेष में 22 अक्‍टूबर, 1947 को ही जम्‍मू एवं कश्‍मीर पर हमला कर दिया था, जिसके बाद से पीओके और गिलगित-बाल्टिस्‍तान के लोग इस दिन को 'काला दिवस' के रूप में मनाते आ रहे हैं। वे अपने भूभाग से पाकिस्‍तान के वापस हटने की मांग करते रहे हैं।

जम्‍मू-कश्‍मीर में पाकिस्‍तान की ओर से हुए हमले की 72वीं वर्षगांठ पर 22 अक्‍टूबर, 2019 (मंगलवार) को भी पीओके में लोग सड़कों पर उतरे और अपना विरोध जताया। इस दौरान पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े तो प्रदर्शनकारियों पर लाठियां भी बरसाई। पुलिस की कार्रवाई में दो लोगों की जान चली गई, जबकि 80 से अधिक घायल हो गए।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन जारी रखे हुए थे, फिर भी प्रशासन ने दमनात्‍मक कार्रवाई की। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्‍तान तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए वे किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। यहां उल्‍लेखनीय है कि मुजफ्फराबाद, रावलकोट, कोटली, गिलगित और पाकिस्‍तान के कब्‍जे वाले कई अन्‍य हिस्‍सों में 22 अक्‍टूबर, 2018 को भी इसी तरह के प्रदर्शन हुए थे।