- अगर यूक्रेन नाटो का सदस्य बन जाता है तो नाटो संगठन की सीमाएं रूस तक पहुंच जाएंगी।
- रूस के राष्ट्रपति पुतिन को यह डर है कि यूक्रेन परमाणु हथियार हासिल कर सकता है।
- 1991 में जब सोवियत संघ का विघटन हुआ तो उससे अलग होने वाले देशों में यूक्रेन भी शामिल था।
Russia-Ukraine War:कई दिनों की आशंका के बीच आखिरकार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के आदेश दे दिए। और इस समय दोनों देशों के बीच युद्ध चल रहा है। अमेरिका, ब्रिटेन, सहित दुनिया के सभी प्रमुख पश्चिमी देश पुतिन को चेता रहे थे कि वह युद्ध न करे, नहीं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। लेकिन पुतिन ने इन चेतावनियों को दरकिनार करते हुए यूक्रेन पर हमला कर दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि पुतिन को कौन से ऐसे डर थे जिसकी वजह से उन्होंने दुनिया की चिंताओं को दरकिनार कर हमला कर दिया। आइए ऐसे में 5 अंदेशों के बारे में हम बता रहे हैं, जिससे पुतिन को रूस को लेकर खतरा नजर आ रहा था।
1.केवल 500 किलोमीटर दूर मास्को की रह जाएगी दूरी
असल में पुतिन को यह लगता है कि अगर यूक्रेन नाटो का सदस्य बन जाता है तो नाटो संगठन की सीमाएं रूस तक पहुंच जाएंगी। और मास्को से यूक्रेन सीमा को जोड़ने वाला M3 हाईवे नाटो देशों की पहुंच में आ जाएगा और अगर ऐसा हुआ तो मास्को से यूक्रेन सीमा की दूरी केवल 490 किलोमीटर रह जाएगी। इस स्थिति में नाटो सेनाओं के लिए मास्को पर हमला करना बेहद आसान हो जाएगा।
2.यूक्रेन बन सकता है परमाणु ताकत
रूस के राष्ट्रपति पुतिन पिछले कुछ दिनों से कई बार यह कह चुके हैं कि यूक्रेन परमाणु हथियार हासिल करना चाहता है। और वह आने वाले दिनों में उत्तर कोरिया जैसा खतरा बन सकता है। पुतिन का अंदेशा अगर सही होता है तो यूक्रेन का परमाणु हथियार संपन्न देश बनना भी रूस के लिए एक बड़ा खतरा है। परमाणु हथियार नहीं होने का टीस यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की भी जता चुके हैं।
3.नाटो में शामिल होने पर नहीं चलेगी मनमानी
जिस तरह पुतिन ने बेहद आसानी से 2014 में क्रीमिया में पर कब्जा किया और अब यूक्रेन के विद्रोही इलाकों को स्वतंत्र मान्यता दी है। वह यूक्रेन के नाटो का सदस्य बनने पर संभव नहीं रह जाएगा। क्योंकि नाटो के किसी भी सदस्य देश पर हमला, उसमें शामिल सभी देशों पर हमला माना जाता है। और आज अगर यूक्रेन नाटो का सदस्य होता तो रूस के हमला करने पर नाटो देशों के साथ युद्ध छिड़ सकता था।
4.सोवियत संघ का सपना टूटेगा
1991 में जब सोवियत संघ का विघटन हुआ तो उससे अलग होने वाले देशों में यूक्रेन भी शामिल था। उस वक्त सोवियत संघ से अलग होकर रूस,आर्मीनिया, अजरबेजान, बेलारूस, इस्टोनिया, जॉर्जिया, कजाकिस्तान, कीर्गिस्तान, लातविया, लिथुआनिया, मालदोवा, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, यूक्रेन और उजबेकिस्तान देश बन गए। अब पुतिन एक बार फिर से पुराने सोवियत संघ जैसी रूस की हैसियत चाहते हैं। यूक्रेन का नाटो में शामिल होना रूस के लिए झटका होता।
5. गैस की लड़ाई
इसके अलावा रूस से यूरोप और दूसरे देशों को जाने वाली गैस पाइपलाइनों का बड़ा हिस्सा यूक्रेन से होकर गुजरता है। अगर यूक्रेन नाटो का सदस्य रहता है या फिर अमेरिकी प्रभाव में बना रहता है तो वह यूक्रेन इन पाइपलाइन को ब्लॉक कर सकता है। जो रूस के लिए आर्थिक रूप से बहुत नुकसानदेह साबित हो सकता है। और पुतिन कभी इस तरह की स्थिति नहीं चाहेंगे।
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