वाशिंगटन : क्वाड नेताओं ने एक बार फिर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को लेकर प्रतिबद्धता जताई है तो यह भी कहा कि वे ऐसे अन्य देशों के साथ भी सहयोग के लिए तैयार हैं, जिनके इस क्षेत्र में साझा हित हैं। इसे चीन के लिए क्वाड के कड़े संदेश के तौर पर देखा जा रहा है, जिसका दखल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बीते कुछ समय में बढ़ा है। क्वाड नेताओं ने दक्षिण और पूर्व चीन सागर में नौवहन की स्वतंत्रता पर भी जोर दिया है।
क्वाड नेताओं- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे के एक संयुक्त लेख में 'द वाशिंगटन पोस्ट' में लिखा गया है कि क्वाड संकट के समय सामने आया। 2007 में यह कूटनीतिक संवाद का अहम जरिया बना और 2017 में यह एक नए रूप में सामने आया। क्वाड नेताओं ने क्षेत्र में साझा हितों को लेकर आगे बढ़ने का संकल्प दोहराया।
कोरोना वैक्सीनेशन का संकल्प
क्वाड नेताओं ने क्षेत्र में 2022 तक कोरोना वैक्सीन के पूर्ण टीकाकरण का संकल्प भी दोहराया। भारत के लिए इसे खासा महत्वपूर्ण समझा जा रहा है। ऐसे में जबकि पूरी दुनिया कोरोना वायरस संक्रमण से जूझ रही है और इसे लेकर चीन के प्रति दुनिया के देशों में संदेह और नाराजगी भी है, भारत ने दुनिया के कई देशों को कोरोना वैक्सीन की खेप मुहैया कराकर इस मामले में चीन के मुकाबले पहले ही कूटनीतिक बढ़त हासिल कर ली है।
क्वाड नेताओं ने 12 मार्च को हुए पहले शिखर सम्मेलन के बाद अब 'द वाशिंगटन पोस्ट' में एक संयुक्त लेख के जरिये हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त व समावेशी बनाए रखने पर जोर दिया है। इसमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्वतंत्रता पर जोर देते हुए कहा गया है कि क्वाड समान सोच वाले देशों का एक समूह है, जो क्षेत्र में शांति व समृद्धि के विजन के साथ काम करने के लिए साथ आए हैं। इसमें समान विचार वाले अन्य देशों का भी स्वागत होगा।