Ranil Wickremesinghe : रानिल विक्रमसिंघे ने गुरुवार को श्रीलंका के नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। श्रीलंका की संसद ने बुधवार को देश के लिए नए राष्ट्रपति का चुनाव किया। उनके समर्थन में 134 वोट पड़े। शपथ लेने के बाद रानिल देश के नौवें राष्ट्रपति बन गए हैं। श्रीलंका इस समय अपने अब तक के सबसे बड़े राजनीतिक एवं आर्थिक संकट से गुजर रहा है। देश में अराजकता का माहौल है। लोग सड़कों पर हैं। देश में राजनीतिक स्थिरता लाना और महंगाई पर काबू पाना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
छह बार प्रधानमंत्री रह चुके रानिल
राष्ट्रपति चुनाव जीतने वाले रानिल देश के छह बार प्रधानमंत्री रह चुके हैं। हालांकि, वह इस पद के लिए सर्वमान्य पसंद नहीं है। प्रदर्शनों के दौरान लोगों में उनके खिलाफ गुस्सा देखा गया है। हिंसक प्रदर्शनों के दौरान लोगों ने उनके निजी आवास को भी नहीं बख्शा। उनके आवास में आग लगा दी गई। रानिल ने लोगों को भरोसा दिया है कि वह श्रीलंका को मौजूदा आर्थिक संकट से निकालेंगे।
बुधवार को चुने गए राष्ट्रपति
गोटबाया राजपक्षे के देश छोड़कर चले जाने और राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था। वह संविधान के अनुसार संसद द्वारा निर्वाचित श्रीलंका के पहले राष्ट्रपति हैं। इससे पहले मई 1993 में तत्कालीन राष्ट्रपति आर. प्रेमदास के निधन के बाद दिवंगत डी. बी. विजेतुंगा को निर्विरोध चुना गया था।
श्रीलंका को अभी 5 अरब डॉलर की जरूरत
श्रीलंका को अपनी 2.2 करोड़ की आबादी की मूल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अगले महीनों में करीब पांच अरब डॉलर की आवश्यकता है। इस जरूरत को रानिल कैसे पूरा करेंगे इस पर सभी की नजरें लगी हैं। जानकारों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय कर्ज या पैकेज पाने के लिए श्रीलंका को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं को भरोसे में लेना होगा। उसे दिखाना होगा कि उसके यहां राजनीतिक स्थिरता है। आईएमएफ एवं अन्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से कर्ज पाने के लिए श्रीलंका को कठिन शर्तों का पालन करना होगा। बिना राजनीतिक स्थिरता के उसे कर्ज मिलने में मुश्किल होगी।
Ranil wickremesinghe : श्रीलंका के नए राष्ट्रपति बने रानिल विक्रमसिंघे, 134 सांसदों का मिला समर्थन
भारत ने की पड़ोसी देश की मदद
दिवालिया हो चुके श्रीलंका की मदद के लिए भारत ने मदद का हाथ आगे बढ़ाया। मुश्किल की इस घड़ी में भारत उसकी मदद करता आया है। संकट गहराने के बाद नई दिल्ली ने उसे अनाज, तेल, दवाओं से लेकर सभी आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की है। भारत की तरफ से श्रीलंका को क्रेडिट लाइन भी उपलब्ध कराया गया है। हालांकि, श्रीलंका को बुरे दौर से निकालने के लिए दुनिया से मदद नहीं मिली है।