Rishi Sunak : ब्रिटेन में पीएम पद के लिए उम्मीदवारों की रेस अपने अंतिम पड़ाव की ओर है। दो सप्ताह के बाद पीएम उम्मीदवार के नाम का ऐलान हो जाएगा। अंतिम दौर की लड़ाई भारतीय मूल के ऋषि सुनक और विदेश मंत्री लिज ट्रस के बीच है। हालांकि, रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि पीएम पद की इस दौड़ में ट्रस बढ़त बना चुकी हैं और उन्हें पीएम बनना तय माना जा रहा है। बावजूद इसके ऋषि सुनक ने हार नहीं मानी है। वह लगातार सांसदों एवं लोगों से मिलकर अपने लिए समर्थन जुटा रहे हैं। इस बीच, सुनक ने संकेत दिया है कि लिज ट्रस यदि प्रधानमंत्री बनती हैं तो वह उनकी सरकार में काम नहीं करेंगे।
मैं इस तरह की स्थिति में दोबारा नहीं पड़ूंगा
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक सुनक ने सोमवार को बीबीसी रेडियो 2 से बातचीत में कहा, 'पिछले कुछ सालों में कैबिनेट में रहते हुए मैंने यह जाहिर किया है कि कुछ बड़े मुद्दों पर आपको सहमत होने की जरूरत है। चूंकि यह एक मुश्किल काम है, जैसा कि मुझे पता है कि मुझे इस तरह की स्थिति में फिर नहीं पड़ना चाहिए।' समझा जाता है कि सुनक टोरी पार्टी की अगुवाई करने वाली लड़ाई हार जाएंगे।
सुनक के इस्तीफे के बाद जॉनसन को पद छोड़ना पड़ा
बता दें कि सुनक के इस्तीफे के बाद ब्रिटेन में कई मंत्रियों ने इस्तीफा दिया जिसके बाद बोरिस जॉनसन को पीएम पद छोड़ना पड़ा। इसके बाद वह पीएम पद की रेस में शामिल हुए। शुरुआत में वह इस रेस में सबसे आगे चले फिर लिज ट्रस ने बढ़त ले ली। अर्थव्यवस्था को लेकर ट्रस और सुनक के विचार मेल नहीं खाते। हालांकि, ब्रिटेन के अखबारों में कहा जा रहा है कि ट्रस की सरकार में उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाया जा सकता है। टोरी सरकार में सुनक वित्त मंत्री थे और कोरोना संकट के दौरान उन्होंने अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए कई अहम कदम उठाए।
ब्रिटेन में PM चुनाव पर खतरा,क्या सुनक और ट्रस पर अटकेगा फैसला
ट्रस की सरकार में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उनका इन सब चीजों पर ध्यान नहीं है। वह अपने या किसी और के लिए नौकरी के बारे में नहीं सोच रहे हैं।
भारत-ब्रिटेन संबंधों को और मजबूत करना चाहते हैं सुनक
एक कार्यक्रम में सुनक ने ब्रिटेन के साथ भारत के संबंधों पर भी अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि वह ब्रिटेन और भारत के संबंधों को अधित दोतरफा बनाने के लिए उन्हें बदलना चाहते हैं, ताकि भारत में ब्रिटेन के छात्रों और कंपनियों की पहुंच सुगम हो सके। उत्तरी लंदन में प्रवासी संगठन ‘कंजर्वेटिव फ्रेंड्स ऑफ इंडिया’ (सीएफआईएन) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में पूर्व चांसलर ने ‘नमस्ते, सलाम, केम छो और किद्दा’ कहकर लोगों का अभिवादन किया।