- पाकिस्तान के दूरदराज के इलाकों में अब भी पोलियो रोधी ड्रॉप को लेकर लोगों में झिझक खत्म नहीं हुई है
- कई इलाकों से अब भी बच्चों को पोलियो रोधी दवा पिलाने गई मेडिकल टीम पर हमले की खबरें आती हैं
- पाकिस्तान के विभिन्न तबके में कुछ इसी तरह की अफवाह अब कोरोना वैक्सीन को लेकर भी फैल रही है
इस्लामाबाद : कोरोना वायरस महामारी से पूरी दुनिया में तबाही मची हुई है, जिससे पाकिस्तान भी अछूता नहीं है। यहां संक्रमण के अब तक लगभग 5 लाख मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 10 हजार से अधिक लोगों की इस घातक महामारी से जान जा चुकी है। कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव को लेकर दुनियाभर में वैक्सीन पर काम हो रहा है और हर किसी को बेसब्री से इनका इंतजार है। लेकिन पाकिस्तान में आखिर लोग इसे लेकर क्या सोचते हैं?
यहां उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के दूरदराज के इलाकों में अब भी पोलियो रोधी ड्रॉप को लेकर लोगों में झिझक खत्म नहीं हुई है। इसे लेकर पूर्व में कई फतवे जारी हो चुके हैं तो अब भी पाकिस्तान के दूर-दराज के इलाकों में बच्चों को पोलियो रोधी दवा पिलाने जाने वाली मेडिकल टीम पर हमले की खबरें सामने आती रहती हैं। यहां के रूढ़िवादी समाज में यह धारणा व्याप्त रही है कि यह मुसलमानों को बड़े पैमाने पर नपुंसक बनाने की पश्चिमी दुनिया की एक चाल है। यह धारणा पाकिस्तान से सटे अफगानिस्तान के कई इलाकों में भी है और इसी सोच का नतीजा है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान से अब तक पोलियो का उन्मूलन नहीं हो सका है।
कोरोना वैक्सीन पर क्या सोचता है पाकिस्तानी समाज?
अब जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में है और इससे बचाव के लिए वैक्सीन की तरफ हर कोई उम्मीद लगाए बैठा है, यह सवाल बेहद दिलचस्प हो जाता है कि बच्चों को पोलिया रोधी ड्रॉप का विरोध करने वाला यह पाकिस्तानी तबका कोरोना वैक्सीन को लेकर कैसी प्रतिक्रिया देता है? इस बारे में 'वाशिंगटन पोस्ट' की एक रिपोर्ट है, जिसमें कहा गया है कि यहां हजारों लोग कोरोना से बचाव के लिए चीनी वैक्सीन के ट्रायल के लिए आगे आ रहे हैं, जिनमें कॉलेज स्टूडेंट्स से लेकर सेवानिवृत्त लोग भी शामिल हैं। सितंबर 2020 से लेकर अब तक लगभग 13,000 पाकिस्तानियों ने कैनसाइनो बायोलॉजिक्स द्वारा विकसित चीनी वैक्सीन के ट्रायल में हिस्सा लिया है।
अधिकारियों के मुताबिक, ट्रायल के इस साल मार्च तक पूरा हो जाने की संभावना है। हालांकि चीनी वैक्सीन के ट्रायल में पाकिस्तानी युवकों और सेवानिवृत्त लोगों के भी शामिल होने का यह मतलब कतई नहीं है कि यहां के समाज ने इसे पूरी तरह स्वीकार कर लिया है और वे अंदेशाओं से मुक्त हैं। इसी रिपोर्ट में एक वॉलंटियर के हवाले से कहा गया है कि उन्हें कई तरह के विरोधों का सामना करना पड़ता है। सबसे पहले तो परिवार ही इसके लिए मना करता है, जबकि सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर कई अफवाहें चलती हैं, जो कई बार लोगों के मन में इसे लेकर शंकाएं पैदा कर देती हैं।
बर्थ कंट्रोल चिप को लेकर फैल रही अफवाह
वैक्सीन के ट्रायल के लिए बीते साल सितंबर में रजिस्ट्रेशन कराने वाले करीब 30-35 साल के एक सरकारी अधिकारी ने इस बारे में कहा, 'मुझे मालूम है कि लोग साजिशों की बात करते हैं, उन्हें लगता है कि इसके जरिये शरीर में कोई चिप लगाई जा रही है, जिससे बच्चे पैदा करने की क्षमता को नियंत्रित किया जा सके। मेरे परिवार में भी कुछ लोगों ने मुझे ट्रायल में हिस्सा नहीं लेने के लिए मना किया, लेकिन मैंने उनकी बात नहीं सुनी। मेरे दिल ने कहा कि मुझे ऐसा करना चाहिए। मैं बस अल्लाह से यही दुआ करता हूं कि हमें इस घातक बीमारी से मुक्त करें।' पाकिस्तान में ऐसे वॉलंटियर्स की पहचान गोपनीय रखी जा रही है और उन्हें इसके लिए 50 डॉलर का भुगतान किया जा रहा है।
बहरहाल, पाकिस्तानी समाज के अलग-अलग हिस्सों में व्याप्त इन अफवाहों के बीच आर्थिक तंगी का सामना कर रहे पाकिस्तान, जिसका स्वास्थ्य बजट बहुत छोटा सा है और अस्पताल एवं स्वास्थ्य केंद्र भी सीमित हैं, को चीन से बड़ी उम्मीद है। चीन, पाकिस्तान का सबसे बड़ा विदेशी आर्थिक साझीदार है और उसे उम्मीद है कि कोरोना महामारी जैसे संकट से उबरने में भी उसे चीन से बड़ी मदद मिलेगी।