- बिम्सटेक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कोलंबो पहुंचे हैं विदेश मंत्री एस जयशंकर
- जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद, साइबर क्राइम एवं चरमपंथ से मिलकर मुकाबला करना होगा
- सोमवार को श्रीलंका के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से भी मिले विदेश मंत्री
BIMSTEC : विदेश मंत्री एस जयशंकर मंगलवार को कोलंबो में BIMSTEC के 18वें विदेश मंत्री सम्मेलन में शरीक हुए। इस बैठक के बारे में जानकारी देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि 'हमने सहयोग के क्षेत्रों, विशेष रूप से संपर्क, ऊर्जा और समुद्री सहयोग को तीव्र और विस्तारित करने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया।' उन्होंने आगे कहा कि 'हमें सामूहिक रूप से आतंकवाद, चरमपंथ एवं अपराध, साइबर हमलों एवं नार्को तस्करी से मुकाबला करना होगा। हमें उम्मीद है कि सम्मेलन के अगले दिन हमारे चार्टर एवं मास्टर प्लान को सभी देश स्वीकार करेंगे।'
कई क्षेत्रों में मिलकर काम करने पर जोर
विदेश मंत्री ने कहा कि 'हम सक्रिय व्यापार सहयोग और आम परियोजनाओं को प्रोत्साहित करेंगे। इसके लिए बंदरगाह सुविधाओं, नौका सेवाओं, तटीय शिपिंग, ग्रिड कनेक्टिविटी और मोटर वाहनों की आवाजाही क्षेत्र में सहयोग प्रमुख है।' बिम्सटेक सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए विदेश मंत्री इस समय श्रीलंका में हैं। सोमवार को उन्होंने राष्ट्रुपति गोताबाया राजपक्षे से मुलाकात की। इस मुलाकात में दोनों नेताओं ने आपसी रिश्ते के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। जयशंकर ने पड़ोसी देश को भरोसा दिया कि नई दिल्ली हमेशा श्रीलंका का सहयोग करती रहेगी। जयशंकर ने श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे से भी मुलाकात की।
'जाफना सांस्कृतिक केंद्र' का उद्घाटन
इस मुलाकात के दोनों देशों ने बौद्ध संस्कृति एवं विरासत के संरक्षण से जुड़े एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर जयशंकर ने वर्चुअल तरीके से 'जाफना सांस्कृतिक केंद्र' का उद्घाटन भी किया।
बिम्सटेक में शामिल हैं 7 देश
उन्होंने यहां बिम्सटेक मंत्रिस्तरीय बैठक से इतर थाईलैंड के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री डी. प्रमुदविनई से भी मुलाकात की। उन्होंने कहा, ‘वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों के साथ-साथ बिम्सटेक को आगे ले जाने पर चर्चा की।’ बिम्सटेक में भारत और श्रीलंका के अलावा, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड, नेपाल और भूटान शामिल हैं। शिखर सम्मेलन की मेजबानी श्रीलंका द्वारा बिम्सटेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल) समूह के अध्यक्ष के रूप में की जा रही है। श्रीलंका और भारत के संबंध काफी प्राचीन हैं। दोनों देश सांस्कृतिक रूप से भी जुड़े हुए हैं। इन दिनों श्रीलंका बुरे दौर से गुजर रहा है। बेकाबू महंगाई से यहां आम जनता परेशान है।