- 1979 में अप्रैल और मई के महीने में येकेतरिनबर्ग में न्यूमोनिया के केस तेजी से बढ़े थे
- रूसी एजेंसियों मे संक्रमित मांस को न्यूमोनिया के लिए बताया था जिम्मेदार
- अमेरिकी जासूसों ने एंथ्रैक्स वायरस के लीक होने की जताई थी आशंका
इस समय पूरी दुनिया कोरोना महामारी का सामना कर रही है, किसी देश में दूसरी लहर तो कहीं पर तीसरी लहर। इन सबके बीच सवाल आज भी वही कि कोरोना वायरस कहां से आया। क्या कोरोना वायरस मैन मेड है या नेचुरल। पश्चिमी देश जहां एक सुर से चीन के खिलाफ बोल रहे हैं तो चीन की तरफ से अपनी बेगुनाही की बात कही जा रही है। इन सब स्थितियों के बीच 42 साल पहले साल 1979 की रूस के येकेतरिनबर्ग शहर की वो घटना याद आ रही है जिसमें एंथ्रैक्स का वायरल लीक हो गया था।
1979 में येकेतरिनबर्ग में न्यूमोनिया के केस तेजी से बढ़े
1979 के अप्रैल और मई का महीना था। लेकिन ये दोनों महीने रूस के लिए चिंता से भरे साबित हुए। येकेतरिनबर्ग के अस्पतालों में न्यूमोनिया के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी थी। हर कोई शख्स परेशान था कि आखिर इसके पीछे वजह क्या है। येकेतरनिबर्ग शहर ने ऐसा मंजर कभी देखा नहीं था। सिर्फ कुछ महीनों में 66 से अधिक लोग जान गंवा चुके थे। इन सबके बीच खुफिया पुलिस ने उन लोगों के रिकॉर्ड को जब्त कर लिए जिनकी मौत न्यूमोनिया से हुई थी और सबसे बड़ी बात कि डॉक्टरों को स्पष्ट निर्देश था कि कि वो इस विषय पर कुछ भी नहीं बोलेंगे।
अमेरिकी जासूसों को था शक
दरअसल अमेरिकी जासूसों को इस बात की भनक लगी थी कि रूस के किसी लैब से एंथ्रैक्स के वायरस लीक हो गए हैं। लेकिन चीन की तरह रूस उस समय इनकार करता रहा। रूस की दलील थी कि न्यूमोनिया की बीमारी संक्रमित मांस की वजह से फैली थी। लेकिन 1990 में जब इस विषय पर गहन जांच हुई तो पता चला कि एंथ्रैक्स वायरल रूस के लैब से ही लीक हुए थे। अब इसकी कहानी इसलिए प्रासंगिक है कि 1979 के एंथ्रैक्स लीक की पुख्ता जानकारी करीब 11 साल बाद हुई। आज दुनिया भर के शोधकर्ता और सरकारें इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि आखिर कोरोना वायरस का उद्गम कहां है।