रियाद : सऊदी अरब ने देश की प्रमुख महिला एक्टिविस्ट लुजैन अल हथलौल को करीब तीन साल तक जेल में रखने के बाद रिहा कर दिया है। मानवाधिकार के आवाजों को दबाए रखने को लेकर सऊदी अरब पर अमेरिका सहित अन्य देशों का दबाव था। समझा जाता है कि इसी अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते सऊदी अरब ने हथलौल को रिहा करने का फैसला किया। 31 वर्षीया महिला एक्टिविस्ट को साल 2018 में हिरासत में लिया गया। इसके बाद सऊदी की एक कोर्ट ने उन्हें छह साल जेल की सजा सुनवाई। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना होने के बाद महिला एक्टिविस्ट के ऊपर से कुछ सजा निलंबित कर दी गई। हथलौल ने सऊदी अरब में महिलाओं के ड्राइविंग पर लगी रोक हटाने पर बल दिया था। उन्हें आतंकवाद निरोधक कानून के तहत सजा सुनाई गई।
राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने का था आरोप
वह जेल में 1001 दिन रहीं जिनमें उन्हें सुनवाई पूर्व हिरासत में अधिक रहना पड़ा। उन पर बदलाव के लिए आंदोलन करने और विदेशी एजेंडे को आगे बढ़ाने जैसे आरोप लगाये गए। हथलौल पर हुई कार्रवाई को मानवाधिकार संगठनों से राजनीति से प्रेरित करार दिया। मानवाधिकार संगठनों एवं हथलौल के परिवार का आरोप है कि जेल में उन्हें बिजली के झटके, यौन उत्पीड़न सहित कई तरह की यातनाएं दी गईं। हालांकि, सऊदी के अधिकारियों ने इन आरोपों को खारिज किया।
हथलौल की सजा के बाद दबाव का सामना कर रहा था सऊदी
हथलौल और अन्य महिला एक्टिविस्ट को जेल में रखने पर सऊदी अरब अमेरिका के दबाव का सामना कर रहा था। इस महीने की शुरुआत में ह्वाइट हाउस ने कहा कि राष्ट्रपति जो बिडेन को उम्मीद है कि सऊदी अरब राजनीतिक कैदियों एवं महिला एक्टिविस्ट्स की रिहाई करते हुए अपने मानवाधिकार रिकॉर्ड में सुधार करेगा। हथलौल पर सऊदी की राजनीतिक व्यवस्था में बदलाव की मांग और राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगे थे। उन पर लगे इन आरोपों को यूएन मानवाधिकार आयोग के विशेषज्ञों ने 'बनावटी' बताया था। इस मामले में सऊदी अरब की आलोचना होने पर कोर्ट ने हलथौथ की दो साल 10 महीने की सजा निलंबित कर दी।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने रिहाई का स्वागत किया
अमेरिका सहित दुनिया भर के देशों ने हथलौल की रिहाई का स्वागत किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने बुधवार को कहा, 'मेरे पास अच्छी खबर है। सऊदी अरब ने प्रमुख मानवाधिकार एक्टिविस्ट को रिहा कर दिया है। वह महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाली एक प्रमुख शख्सियत हैं। उनकी रिहाई एक सही कदम है।' हालांकि महिला एक्टिविस्ट की बहन लीना अल हथलौल ने कहा है कि उनकी बहन अभी भी आजाद नहीं हैं क्योंकि अभी उनकी और परिवार की यात्रा पर प्रतिबंध है। लीना ने समर्थन देने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति का धन्यवाद दिया है।