- 27 अक्टूबर 1947 को जम्मू कश्मीर का भारत में विलय हुआ था
- दिन दिन को 'ब्लैक डे' के रूप में मनाना चाहता था पाकिस्तान
- सऊदी अरब और ईरान दोनों देशों ने इसकी इजाजत नहीं दी
नई दिल्ली : अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को जब भी अपनी बात रखने का मौका मिलता है तो वह कश्मीर राग अलापने और भारत पर आरोप लगाने से बाज नहीं आता। यह अलग बात है कि उसके झांसे में कोई देश नहीं आता क्योंकि सभी उसकी मंशा समझते हैं। यहां तक कि कश्मीर मसले पर उसे मुस्लिम देशों का भी साथ नहीं मिला और जब भी उसने इन देशों के साथ इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की तो उसे झटका लगा। कश्मीर मसले पर पाकिस्तान ने एक बार फिर अपने झूठ का प्रोपगैंडा फैलाने की कोशिश की लेकिन उसकी यह मंशा धरी की धरी रह गई। सऊदी अरब और ईरान दोनों ने उसके इरादों पर पानी फेर दिया।
'ब्लैक डे' मनाना चाहता था पाकिस्तान
दरअसल, पाकिस्तान इन दोनों देशों में स्थित अपने दूतावास में जम्मू-कश्मीर के भारत में शामिल होने के दिन 27 अक्टूबर को 'ब्लैक डे' मनाने की तैयारी में था लेकिन सऊदी अरब और ईरान दोनों ने इसकी इजाजत नहीं दी। खास बात है कि ईरान शिया और सऊदी अरब सुन्नी देश है और दोनों देशों की आपस में बनती नहीं है लेकिन कश्मीर मसले पर दोनों देशों ने भारत का समर्थन कर पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया। ईरान और सऊदी अरब का यह कदम मध्य एशिया में बन रहे नए समीकरण की ओर भी इशारा करता है।
सऊदी अरब और ईरान ने नहीं दी इजाजत
'हिंदुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट के मुताबिक इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले लोगों को कहना है कि ईरान स्थित पाकिस्तान दूतावास तेहरान यूनिवर्सिटी में 'ब्लैक डे' आयोजित करना चाहता था लेकिन इस समारोह की अनुमति न देकर तेहरान ने इस्लामाबाद को चौंका दिया। हालांकि, दूतावास को वेबीनार आयोजित करने की इजाजत दी गई। यही नहीं, इस्लामाबाद की योजना रियाद स्थित अपने वाणिज्य दूतावास में इसी तरह का एक आयोजन करने की मंशा थी लेकिन सऊदी अरब ने इस कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी।
तुर्की से निकटता पाक को पड़ रही भारी
जानकारों का मानना है कि दो बड़े प्रभावशाली मुस्लिम देशों का पाकिस्तान के साथ यह रुख मध्य एशिया में बन रहे नए समीकरण को दर्शाता है। इसे पाकिस्तान की तुर्की के साथ बढ़ रही निकटता के साथ जोड़कर भी देखा जा रहा है। दरअसल, हाल के दिनों में पाकिस्तान तुर्की के ज्यादा करीब गया है और यह बात सऊदी अरब को नागवार गुजरी है। तुर्की की मंशा मुस्लिम देशों की अगुवाई करने की है और उसके इस मकसद में पाकिस्तान साथ दे रहा है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगान तुर्की को ऑटोमन साम्राज्य के तौर पर विकसित करना चाहते हैं। ऑटोमन साम्राज्य का इस क्षेत्र पर 500 साल तक शासन रहा है।