- सरकार ने विपक्ष को सरकार में शामिल होने का न्योता दिया
- विपक्षी दलों ने ऑल पार्टी अंतरिम सरकार की अपील खारिज की
- श्रीलंका में हालात बद से बत्तर हैं, इमरजेंसी के बाद हालात और खराब हैं
श्रीलंका के मुख्य विपक्षी दलों ने मिलकर काम करने के सरकारी अनुरोध को खारिज कर दिया है। श्रीलंका के दो मुख्य विपक्षी दलों SJB और JVP ने राष्ट्रपति के सर्वदलीय अंतरिम सरकार बनाने के अनुरोध को खारिज कर दिया है। दोनों पार्टियों का कहना है कि राष्ट्रपति को इस्तीफा दे देना चाहिए। वहीं, राष्ट्रपति राजपक्षे के साथ सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने के बाद श्रीलंका पोडुजना पेरामुना (एसएलपीपी) के महासचिव एवं सांसद सगारा करियावासम ने कहा कि भारत हमारा पड़ोसी देश है और इसने हमारी हमेशा मदद की है। संकट की इस घड़ी में भी भारत हमारी मदद कर रहा है। हम भारतीय मदद पर निर्भर हैं।
राजपक्षे इस्तीफा नहीं देंगे-सगारा करियावासम
राष्ट्रपति राजपक्षे के साथ सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने के बाद श्रीलंका पोडुजना पेरामुना (एसएलपीपी) के महासचिव एवं सांसद सगारा करियावासम ने कहा कि भारत हमारा पड़ोसी देश है और इसने हमारी हमेशा मदद की है। संकट की इस घड़ी में भी भारत हमारी मदद कर रहा है। हम भारतीय मदद पर निर्भर हैं। करियावासम ने आगे कहा कि हमारी सरकार बचेगी। संसद में हमारे पास बहुमत है। राष्ट्रपति राजपक्षे अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे। हमारे सामने विदेशी मुद्रा का संकट है लेकिन हमें एक स्थायी समाधान की जरूरत है।
करियावासम ने आगे कहा कि हमारी सरकार बचेगी। संसद में हमारे पास बहुमत है। राष्ट्रपति राजपक्षे अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे। हमारे सामने विदेशी मुद्रा का संकट है लेकिन हमें एक स्थायी समाधान की जरूरत है।
इससे पहले अब तक के सबसे बुरे आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने सोमवार को अपने भाई और वित्त मंत्री बेसिल राजपक्षे को उनके पद से बर्खास्त कर दिया। उनकी जगह अली साबरी को वित्त मंत्री नियुक्त किया गया है, जो रविवार रात तक न्याय मंत्री थे। रविवार रात देश के सभी 26 मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। नई नियुक्तियों से पहले राष्ट्रपति गोटबाया ने देश के सभी विपक्षी दलों से एकता मंत्रिमंडल में शामिल होने की अपील की थी।
लोगों में देश की आर्थिक स्थिति को संभाल नहीं पाने को लेकर सत्तारूढ़ राजपक्षे परिवार के प्रति बहुत आक्रोश है। देश में विरोध-प्रदर्शनों को देखते हुए कर्फ्यू लगा दिया गया था, बावजूद इसके रविवार शाम व्यापक स्तर पर प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं।
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श्रीलंका सरकार को कई दिनों से सार्वजनिक विरोध का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें सरकार से आर्थिक संकट, बिजली कटौती और ईंधन और अन्य आवश्यक आपूर्ति में कमी को हल करने के लिए तत्काल उपाय किए जाने की मांग की जा रही है। सोमवार को राष्ट्रपति राजपक्षे ने सभी राजनीतिक दलों को मौजूदा संकट का समाधान खोजने के लिए सरकार में शामिल होने का निमंत्रण दिया।
सत्तारूढ़ दल के सांसद सगर करियावासम ने कहा कि सरकार बचेगी, हम सत्ताधारी पार्टी के सांसदों से मिले, यह एक सफल बैठक थी, सभी ने अपनी राय व्यक्त की, राजपक्षे इस्तीफा देने वाले नहीं हैं। विपक्षी दलों के नेता द्वारा सरकार में शामिल होने से इनकार करने के सवाल पर उन्होंने जवाब दिया कि सरकार का गठन श्रीलंका के राष्ट्रपति पर निर्भर है। हमारे पास संसद में बहुमत है।
भारत कर रहा मदद: सांसद
वहीं सड़क पर लोगों के गुस्से के सवाल पर उन्होंने कहा कि देश में विदेशी मुद्रा की समस्या है। हमें इस समस्या का स्थायी समाधान खोजना है, देश का समुचित विकास करना है, इसके लिए हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं। भारत से मदद मांगने पर उन्होंने कहा कि हमने भारत से व्यापक समर्थन मिला है और हमें विदेशी मुद्रा के संबंध में भारत से समर्थन की आवश्यकता है। भारत हमारा पड़ोसी है और इसने हमेशा हमारी मदद की है। इस बार भी भारत हमारी मदद कर रहा है और हम इस पर निर्भर हैं।