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एयरपोर्ट तक तालिबान ने किया एस्कॉर्ट, आधी रात को कुछ इस तरह से निकाले गए भारतीय राजनयिक

Taliban fighters escorted indian diplomats in Kabul
Updated Aug 18, 2021 | 14:08 IST

Taliban News : सोमवार की रात करीब दो दर्जन वाहन का काफिला दूतावास से बाहर निकला। एस्कॉर्ट करने वाले तालिबानी लड़ाकों में से कुछ ने मुस्कुराते हुए यात्रियों की तरफ हाथ लहराया।

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Taliban fighters escorted indian diplomats in KabulTaliban fighters escorted indian diplomats in Kabul
तस्वीर साभार:&nbspAP
काबुल से सुरक्षित बाहर निकाले गए भारतीय राजनयिक।
मुख्य बातें
  • राजधानी काबुल से सोमवार रात निकाले गए भारतीय राजनयिक
  • काबुल एयरपोर्ट तक तालिबान लड़ाकों ने काफिले को दी सुरक्षा
  • पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान लड़ाकों का हो चुका है नियंत्रण

काबुल : अफगानिस्तान में तालिबान का राज दोबारा स्थापित हो जाने के बाद राजधानी काबुल से अपने राजनयिकों को निकालना देशों के लिए चुनौती बनी हुई है। काबुल में तालिबान के दाखिल होने की खबर ने भारतीय दूतावास के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की धड़कनों को बढ़ा दिया था। दूतावास में मौजूद करीब 150 राजनयिकों को वहां से सुरक्षित निकालना भारत के लिए आसान काम नहीं था। इस बात को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी स्वीकार किया है। उन्होंने इसे एक 'कठिन एवं जटिल मिशन' बताया। 

भारतीय राजनयिकों को एस्कॉर्ट कर एयरपोर्ट तक ले गए
गौर करने वाली बात यह है कि भारतीय दूतावास से लेकर काबुल एयरपोर्ट तक की सुरक्षा किसी और ने नहीं बल्कि तालिबान लड़ाकों के हाथों में थी। वे आधी रात के समय दूतावास से भारतीय राजनयिकों को एस्कॉर्ट कर एयरपोर्ट तक ले गए। समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक राजनयिकों को निकालने से पहले दूतावास के मुख्य दरवाजे पर तालिबान लड़ाकों का एक समूह जमा हो गया था। ये लड़ाके मशीनगन और रॉकेट चालित ग्रेनेड लॉन्चर्स से लैस थे। तालिबान के साथ भारत का आधिकारिक रुख 'दोस्ताना' नहीं कहा जा सकता क्योंकि साल 2001 में जब अफगानिस्तान से तालिबान की विदाई हुई तब भारत ने वहां नई सरकार का मजबूती के साथ समर्थन किया था। भारत के इस रुख का चरमपंथी इस्लामी समूह ने स्वागत नहीं किया था बल्कि नई दिल्ली के प्रति उसमें एक तरह की 'शत्रुता' पैदा हुई।

हथियारों से लैस थे तालिबान लड़ाके
रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय दूतावास के बाहर मौजूद तालिबान लड़ाकों के बारे में भारतीय आशंकाएं निर्मूल साबित हुईं। वे 'किसी तरह का बदला लेने नहीं आए थे।' उन्होंने किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाया बल्कि वे राजनयिकों को एस्कॉर्ट करते हुए काबुल एयरपोर्ट तक ले गए। यहां दूतावास बंद करने के भारत के फैसले के बाद सेना का एक विमान उन्हें निकालने के लिए तैयार रखा गया था। 
कुछ लड़ाकों ने यात्रियों की तरफ हाथ लहराया।
सोमवार की रात करीब दो दर्जन वाहन का काफिला दूतावास से बाहर निकला। एस्कॉर्ट करने वाले तालिबानी लड़ाकों में से कुछ ने मुस्कुराते हुए यात्रियों की तरफ हाथ लहराया। रिपोर्ट के मुताबिक काबुल में दाखिल होने के बाद तालिबान ने राजधानी में प्रवेश करने और निकलने के सभी रास्तों पर अपना पहरा बिठा दिया। इसके बाद दूतावास ने तालिबान से संपर्क करने का फैसला किया। दूतावास की तरफ से तालिबान से उन्हें एयरपोर्ट तक पहुंचाने की अपील की गई। भारतीय दूतावास में जुटे 200 लोगों में से करीब एक तिहाई राजनयिक पहले ही अफगानिस्तान छोड़ चुके थे। 

ग्रीन जोन से बाहर निकलने की इजाजत नहीं दी
सोमवार को देश छोड़ने वाले में से एक राजनयिक ने बताया, 'हम जब दूसरे समूह को यहां से निकाल रहे थे...तो हमारा सामना तालिबान से हुआ। इन लड़ाकों ने हमें ग्रीन जोन से बाहर निकलने की इजाजत नहीं दी। इसके बाद हमने तालिबान से संपर्क करने का फैसला लिया। हमने उनसे अपने काफिले को एस्कॉर्ट करने के लिए भी कहा।'