- टैंकमैन की तस्वीर कई देशों में सर्च इंजन 'बिंग' पर नजर नहीं आई
- मामले ने तूल पकड़ा तो माइक्रोसॉफ्ट ने इसे 'मानवीय भूल' करार दिया
- हालांकि इसे यूजर्स इसे चीनी सेंसर के तौर पर भी देख रहे हैं
नई दिल्ली : चीन के कम्युनिस्ट शासन में 1989 का लोकतंत्र समर्थक आंदोलन अब तक के सबसे बड़े राजनीतिक विरोध-प्रदर्शन के तौर पर देखा जाता है। चीनी सेना ने इस आंदोलन को हालांकि बुरी तरह कुचल दिया, लेकिन इस दमन ने उसके दामन पर जो दाग दिए, उसे छुड़ाने की जद्दोजहद में वह आज भी जुटा है। 'टैंकमेन' की तस्वीर को लेकर आ रही ताजा रिपोर्ट इसी की बानगी हैं।
क्या है मामला?
टैंकमैन के नाम से चर्चित यह तस्वीर 4 जून, 1989 को चीन की राजधानी बीजिंग में 'थियानमेन चौक नरसंहार' के दौरान विदेशी मीडिया ने ली थी, जिसे वह आज भी वह सेंसर करने में लगा है। इस साल भी 4 जून को थियानमेन चौक नरसंहार के मौके पर लोगों ने इस तस्वीर को इंटरनेट पर खूब खंगाला, लेकिन कई देशों में माइक्रोसॉफ्ट के सर्ज इंजन 'बिंग' यह उन्हें नहीं नजर आया।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, अमेरिका, जर्मनी, सिंगापुर सहित कई देशों में लोगों ने बिंग पर जब 'टैंक मैन' सर्च किया तो उन्हें कोई परिणाम नहीं मिला। मामले ने तूल पकड़ा और सोशल मीडिया पर लोगों ने इसकी शिकायत की और 'थियानमेन चौक नरसंहार' से संबंधित जानकारियों को चीन द्वारा सेंसर करने की बात उठाई तो माइक्रोसॉफ्ट ने इसे 'मानवीय भूल' करार देकर इसे दुरुस्त करने की बात कही।
सबूत मिटा रहा चीन?
यूजर्स के मुताबिक, इसके कुछ घंटों बाद भी जब उन्होंने 'टैंक मैन' शब्द को सर्च किया तो उन्हें रिजल्ट में दुनियाभर के लड़ाकू टैंकों की तस्वीरें नजर आईं। इस रिपोर्ट ने एक बार जाहिर किया है कि किस तरह 'थियानमेन चौक नरसंहार' संबंधित जानकारियों को आज भी सेंसर करने की कोशिश कर रहा है, जिसमें हजारों प्रदर्शनकारियों को चुप कराने के लिए चीनी सेना टैंक के साथ पहुंची थी और उन पर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी थी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन आज भी थियानमेन चौक नरसंहार से जुड़े सारे सबूत मिटा रहा है। चीनी प्रशासन ने उस घटना से जुड़े 3200 से अधिक सबूतों को मिटा दिया है, जबकि बड़ी संख्या में इससे जुड़ी सामग्री को सेंसर कर दिया गया है। थियानमेन चौक के उस हिस्से में आज भी विदेशी मीडिया को जाने से रोका जाता है, जहां निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोलियां बरसाई गई थी।
कौन है 'टैंकमैन'?
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, टैंकमैन की तस्वीर थियानमेन स्क्वायर नरसंहार के एक दिन बाद 5 जून, 1989 को ली गई थी। चीनी सेना जब वहां गोलियां बरसा रही थी, एक शख्स टैंकों के सामने आकर निडर होकर खड़ा था। उसने सफेद शर्ट पहन रखी थी, जबकि उसके हाथों में बैग था। यह तस्वीर दुनियाभर में आजादी और असहमति का प्रतीक बन गई।
पश्चिमी दुनिया के देश इस तस्वीर को उनके मूल्यों और आकांक्षाओं के प्रतिनिधि के तौर पर बताते रहे हैं। वहीं, चीन बीते तीन दशकों से इसकी याद को भी सेंसर करने में लगा है। देश में न केवल लोगों को थियानमेन स्क्वायर नरसंहार को लेकर कोई समारोह आयोजित करने की मनाही है, बल्कि इसके बारे में बोलने और इस तस्वीर को फॉरवार्ड करने पर भी सजा का प्रावधान है।