- अमेरिका ने WHO से बाहर निकलने के लिए औपचारिक कदम बढ़ा दिया है
- ट्रंप प्रशासन ने इस संबंध में कांग्रेस व संयुक्त राष्ट्र को अधिसूचित किया है
- WHO से अमेरिका का बाहर होना अगले साल जुलाई में प्रभावी होगा
वाशिंगटन : कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच अमेरिका में ट्रंप प्रशासन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से बाहर निकलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। बीते कुछ सप्ताह में कोरोना वारसस संक्रमण के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी के बीच यह कदम उठाया जा रहा है। इससे पहले ट्रंप प्रशासन ने डब्ल्यूएचओ से बाहर निकलने की घोषणा कर सभी को चौंका दिया था। अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर चीन की तरफदारी करने का आरोप लगाया है।
ट्रंप प्रशासन के फैसले का विरोध
दुनियाभर में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच अमेरिका के इस कदम के खिलाफ हालांकि विरोध की आवाजें भी उठी हैं। कहा जा रहा है कि मौजूदा दौर के इस सबसे बड़े स्वास्थ्य संकट के समय जब विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी संस्था को और मजबूत करने की जरूरत है, अमेरिका जैसा देश इससे बाहर हो रहा है। अमेरिका में कांग्रेस के सदस्यों, मेडिकल एसोसिएशंस और कई अन्य संस्थाओं ने इसका विरोध किया है।
जो बाइडेन की अलग राय
अमेरिका में यह मसला अब सियासी रंग भी ले चुका है और सीएनएन के अनुसार, राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में डेमोक्रेटिक पार्टी के संभावित उम्मीदवार जो बाइडेन ने मंगलवार को यहां तक कहा कि अगर वह राष्ट्रपति निर्वाचित होते हैं तो अपने कार्यकाल के पहले ही दिन इस फैसले को पलट देंगे। डब्ल्यूएचओ सहित दुनिया के कई देशों ने भी ट्रंप प्रशासन से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की थी।
अगले साल जुलाई में होगा प्रभावी
बहरहाल, विरोध के उठते स्वर के बीच ट्रंप प्रशासन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन से बाहर निकलने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। उसने इस संबंध में अमेरिकी कांग्रेस और संयुक्त राष्ट्र को अधिसूचित कर दिया है। यह प्रक्रिया 6 जुलाई, 2021 तक प्रभाव में आएगी। इस दौरान इसे सत्यापित किया जाएगा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन से बाहर निकलने की प्रक्रिया में अनिवार्य शर्तों का पालन हुआ है या नहीं, जिनमें से एक सालभर पहले नोटिस देना भी शामिल है। साथ ही वित्तीय देनदारियों की भी समीक्षा की जाएगी।