लंदन : ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों की संख्या को बढ़ावा देने की पुरानी मांग का समाधान करने के प्रयास के तहत ब्रिटेन की सरकार ने बुधवार को सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए पढ़ाई के बाद दो वर्षों के कार्य वीजा जारी करने की घोषणा की। नई 'स्नातक' योजना अगले वर्ष शुरू होगी और यह सभी विदेशी छात्रों के लिए होगी, जिनके पास छात्र के तौर पर ब्रिटेन का वैध आव्रजन दर्जा है और जिसने सरकार से मंजूरी प्राप्त ब्रिटेन के किसी उच्च शिक्षण संस्थान से स्नातक स्तर या इससे अधिक के लिए सफलतापूर्वक पाठ्यक्रम पूरा किया है।
वीजा के तहत योग्य छात्रों को पढ़ाई पूरी करने के बाद दो वर्षों के लिए काम करने या अपने पसंद के किसी करियर की खोज करने की अनुमति होगी। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस बारे में नीति की फिर से प्रभावी शुरुआत करने के बाद कहा कि बदलाव से छात्रों को ब्रिटेन में अपना करियर शुरू करने के लिए अपनी क्षमताओं का इस्तेमाल करने का अवसर मिलेगा।
जॉनसन की कैबिनेट में वरिष्ठ सदस्य भारतीय मूल की ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल ने कहा, 'नई स्नातक योजना का अर्थ है कि प्रतिभाशाली अंतरराष्ट्रीय छात्र ब्रिटेन में पढ़ सकेंगे और अपना सफल करियर बनाने के दौरान उन्हें बहुमूल्य कार्य अनुभव हासिल होगा।' उन्होंने कहा, 'यह हमारे वैश्विक दृष्टिकोण को दर्शाता है और यह सुनिश्चित करेगा कि हम बेहतरीन एवं प्रतिभाशाली छात्रों को अपने यहां ला सकें।'
ब्रिटेन ने पूर्व प्रधानमंत्री टेरेसा मे के गृह मंत्री रहने के दौरान 2012 में पढ़ाई बाद दो वर्ष के कार्य वीजा पेशकश को खत्म किया था, जिसके बाद भारत जैसे देशों से छात्रों की संख्या में काफी कमी आई। बोरिस जॉनसन सरकार की हालिया घोषणा का विश्वविद्यालय के प्रमुखों और प्रतिनिधियों ने जोरदार स्वागत किया है, जिन्होंने कहा कि भारतीय छात्र उन जगहों पर उच्च शिक्षा को प्राथमिकता देते हैं, जहां वे अपनी डिग्री हासिल करने के बाद कार्य अनुभव प्राप्त करने में सक्षम हो सकें।
यूनिवर्सिटीज यूके इंटरनेशनल के निदेशक विवियन स्टर्न ने कहा, 'हालांकि, हमारे 82 फीसदी भारतीय स्नातक अपने करियर से संतुष्ट हैं, जहां भी वे काम कर रहे हैं। हमें पता है कि डिग्री हासिल करने के बाद वे ब्रिटेन में कुछ समय व्यतीत करने का अवसर मिलने को महत्व देते हैं। इस वीजा से उन्हें ऐसा करने में मदद मिल सकेगी।'
ब्रिटेन में भारतीय छात्रों के समूहों ने भी वीजा प्रक्रिया बहाल करने का समर्थन किया, जिसकी वे लंबे समय से मांग करते रहे हैं। नेशनल इंडियन स्टूडेंट्स और एलुमनाई यूनियन यूके (एनआईएसएयू) की संस्थापक और अध्यक्ष सनम अरोड़ा ने कहा, 'सबसे ज्यादा प्रभावित भारतीय छात्र हुए, जिन्होंने लगातार हमसे कहा कि कई कारणों से उन्हें पढ़ाई बाद वीजा की जरूरत है... हम पांच वर्षों से अधिक समय से पढ़ाई के बाद वीजा देने के अभियान को चला रहे हैं और यह हमारे लंबे और कड़े संघर्ष का नतीजा है कि हमें न्याय मिला है।'