मानवीय राहत मामलों के लिये यूएन की शीर्ष अधिकारी जॉयस म्सूया ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को यूक्रेन में हालात पर जानकारी देते हुए कहा है कि एक महीने की लड़ाई में अब तक 1,100 से अधिक आम लोगों की मौत हो चुकी है और हिंसा में कोई कमी आती नजर नहीं आ रही है। मानवीय राहत मामलों के लिये यूएन की सहायक महासचिव ने 15 सदस्य देशों वाली सुरक्षा परिषद को बताया कि वास्तविक मृतकों का आंकड़ा इससे कहीं अधिक होने की आशंका है।
रूसी सैन्य बलों ने जिन इलाकों में भीषण बमबारी की है वहां पर हताहतों की संख्या की पुष्टि करने के लिए पहुंच पाना सम्भव नहीं है। मारियूपोल, ख़ारकीफ़, चेरनिहीफ़ और अन्य कई शहरों में एक महीने पहले तक उमंग से पूर्ण और भरा-पूरा जीवन, अब घेराबन्दी, बमबारी और नाकेबन्दी में है। उन्होंने बताया कि अस्पतालों, घरों और स्कूलों को ध्वस्त किया गया है और हताहतों में कम से कम 99 बच्चे हैं।
यूएन की सहायक महासचिव ने हिंसक टकराव के चार सप्ताह पूरे होने पर मानवीय हालात से अवगत कराते हुए कहा कि घेराबन्दी वाले इलाकों में फंसे आम नागरिकों के लिये भोजन, जल, दवा, बिजली का अभाव है। कुछ इलाकों में, मृतकों को दफना पाना भी सुरक्षित नहीं है।
इस बीच, एक करोड़ से अधिक लोग जान बचाने के लिए अपने घर छोड़कर चले गए हैं, जिनमे 65 लाख लोग देश की सीमाओं के भीतर विस्थापित हुए हैं, जबकि अन्य ने पड़ोसी देशों में शरण ली है। विशाल मानवीय आवश्यकताओं के मद्देनजर, यूएन प्रणाली ने अपने कामकाज का दायरा व स्तर तेजी से बढ़ाया है। इस क्रम में, मानवीय राहत संगठनों ने आठ लाख 90 हजार लोगों तक भोजन, आश्रय, कम्बल, दवा, बोतलबन्द पानी और स्वच्छता सामग्री को पहुँचाया गया है।
वैश्विक खाद्य आपूर्ति पर असर
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के प्रमुख डेविड बीजली ने भी सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा कि यूक्रेन में हालात एक विनाश के ऊपर एक और विनाश है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन को अनाज की टोकरी के रूप में देखा जाता था, मगर अब यहां लोग रोटी के लिये कतार में हैं।
यूएन एजेंसी प्रमुख ने आगाह किया कि यूक्रेन में हालात से वैश्विक खाद्य आपूर्ति पर असर पड़ने की आशंका है, जिससे सहेल, उत्तर अफ़्रीका और मध्य पूर्व में खाद्य असुरक्षा और गम्भीर हो जाएगी। इनमें से अधिकांश क्षेत्र गेहूं, और अन्य खाद्य उत्पादों के लिए यूक्रेन और रूसी महासंघ पर निर्भर हैं। मक्का की बुआई का मौसम चल रहा है, जबकि जून और जुलाई में गेहूं की पैदावार होनी है।
कार्यकारी निदेशक डेविड बीजली ने जोर देकर का कि रुसी महासंघ और बेलारूस से मिलने वाले उर्वरक आधारित उत्पादों में गिरावट से खाद्य असुरक्षा और गम्भीर होने की आशंका है। इससे अनेक देशों में पैदावार में 50 फीसदी तक की कमी आ सकती है, और यह भविष्य में कठिन साबित होने वाले महीनों के आने का संकेत है।