वाशिंगटन/बीजिंग : कोरोना वायरस संक्रमण आखिर कहां से आया, यह आज भी पूरी दुनिया के लिए अबूझ पहेली है। अमेरिका में पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन ने इसके लिए सीधे तौर पर चीन की तरफ उंगली उठाई थी। हालांकि वहां निजाम बदलने के साथ ही यह आवाज धीमी हो गई थी। लेकिन अब एक बार फिर ऐसी ही अवाज अमेरिका में जोर पकड़ रही है, जब राष्ट्रपति जो बाइडन ने खुफिया एजेंसियों को 90 दिनों के भीतर यह पता लगाने का आदेश दिया है कि आखिर यह जानलेवा संक्रामक रोग कहां से फैला, जिसने देखते ही देखते पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया।
अमेरिका के इस रुख के बाद चीन बौखलाया हुआ है। बीजिंग ने बाइडन प्रशासन पर इस मसले को लेकर 'राजनीति' करने का आरोप लगाया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने अमेरिकी रुख पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए दोबारा जांच का अमेरिकी राष्ट्रपति का आदेश दिखाता है कि अमेरिका 'तथ्यों और सच्चाई की परवाह नहीं करता और न ही उसकी रुचि वैज्ञानिक तरीके से वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने में है।' चीन ने जोर देकर कहा कि अमेरिका को इस मसले पर WHO के साथ सहयोग करना चाहिए।
चीन में आया था पहला मामला
यहां उल्लेखनीय है कि कोविड-19 का पहला केस दिसंबर 2019 में चीन के वुहान शहर में सामने आया था। शुरुआती मामलों का संबंध वुहान के एक सी-फूड मार्केट से पाया गया था और वैज्ञानिकों की ओर से बताया गया कि यह वायरस जानवरों से इंसानों में पहुंचा है। हालांकि हाल ही में आई एक अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ ऐसे सबूत हैं, जो इस ओर इशारा करते हैं कि यह वायरस चीन की एक प्रयोगशाला से लीक हुआ और देखते ही देखते इसने महामारी की शक्ल ले ली।
चीन ने हालांकि न सिर्फ ऐसी खबरों को 'झूठ' बताया, बल्कि यह भी कहा था कि संभव है कि यह वायरस अमेरिका की किसी लैब से निकला हो और इसलिए उसे अपने यहां भी जांच करानी चाहिए। चीन इस मामले में बार-बार विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मार्च की उस रिपोर्ट का हवाला दे रहा है, जो चीनी वैज्ञानिकों के साथ मिलकर तैयार की गई थी। इसमें किसी लैब से वायरस फैलने की आशंका को 'बहुत ही कम' बताते हुए कहा गया था कि इस दिशा में अभी और शोध किए जाने की जरूरत है।