वाशिंगटन : अमेरिकी संसद (यूएस कैपिटल) में बुधवार को जो कुछ हुआ उससे पुरी दुनिया हैरान है। दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के मंदिर में हिंसा और फसाद का दौर चलेगा, इसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी। सैकड़ों-हजारों की संख्या में ट्रंप समर्थकों ने एक तरह से दोनों सदनों को बंधक बनाने की कोशिश की। सुरक्षाकर्मियों से उनका संघर्ष हुआ। गोलियां भी चलीं। इस हिंसा में एक महिला सहित चार लोगों की मौत हो गई है। कई लोगों के पास विस्फोटक और अवैध हथियार पाए गए। कुल महिलाकर स्थितियों और जटिल और विस्फोटक हो सकती थीं। प्रदर्शनकारी सुरक्षाकर्मियों को छकाते हुए सदन में दाखिल हो गए। सदन के अंदर अफरा-तफरी का माहौल था, किसी को समझ नहीं आ रहा था कि बाहर क्या हो रहा है।
जेमी स्टेहम ने बताया कि यूएस कैपिटल में क्या हुआ
यूएस कैपिटल के इस फसाद वाली घटना की गवाह अमेरिकी पत्रकार जेमी स्टेहम बनी हैं। प्रदर्शनकारियों के उपद्रव के दौरान वह सदन की प्रेस ग्रैलरी में मौजूद थीं। जेमी ने इस घटना की आंखों देखी साझा किया है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक जेमी ने कहा, 'मैंने अपनी बहन से कहा था कि आज कुछ बुरा होने जा रहा है। मैं नहीं जानती कि क्या होगा लेकिन कुछ बुरा होगा।' जेमी कहती हैं कि कैपिटल के बाहर उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उन्मादित समर्थकों के एक समूह को देखा। इन सभी के हाथों में झंडे थे और वे ट्रंप के समर्थन में नारे लगा रहे थे। उनकी आंखों में कुछ करने का एक भाव दिखाई दे रहा था।
'मैं प्रेस गैलरी में अपनी सीट पर बैठी थी'
पत्रकार ने आगे कहा, 'मैं सदन के भीतर प्रेस गैलरी में जाकर अपनी सीट पर बैठ गई। नीचे सदस्य बैठे थे और स्पीकर नैंसी पावेल सदस्यों को संबोधित कर रही थीं। दूसरे घंटे के दौर में हमने जैसे ही प्रवेश किया, हमने बाहर कांच टूटने की आवाज सुनी। तभी कैपिटल पुलिस ने घोषणा की कि एक व्यक्ति सुरक्षा में सेंध लगाकर अंदर घुस आया है। इसके बाद सभी एक दूसरे को देखने लगे। फिर स्थिति सामान्य हो गई। अचानक से फिर घोषणा होनी शुरू हुई। पता चला कि प्रदर्शनकारी अंदर दाखिल हो रहे हैं।'
महिला पत्रकार ने कहा-ऐसा उपद्रव पहली बार देखा
इस फसाद के बारे में जेमी कहती हैं कि प्रेस गैलरी में बैठे ज्यादातर पत्रकार बड़ी खबरों को कवर करने वाले हैं। उन्होंने बताया कि वह खुद बाल्टिमोर में हत्या को कवर करने के दौरान हिंसा को देखा है लेकिन यहां होने वाला उत्पात अलग तरह का था। पुलिस को खुत पता नहीं था कि क्या हो रहा है। उनमें समन्वय का अभाव दिखा। पुलिस ने चैंबर के दरवाजे बंद कर दिए साथ ही हमसे कहा कि हमें वहां निकालना होगा। इसलिए थोड़ी देर के लिए वहां अफरा-तफरी जैसा माहौल रहा।
'लगा कि अंदर सुरक्षा के लिए कोई नहीं है'
महिला पत्रकार का कहना है कि गैलरी में ऐसा लगा कि कोई भी वहां सुरक्षा के लिए प्रभारी नहीं है। कैपिटल पुलिस इमारत से नियंत्रण खो चुकी थी, इस दौरान वहां कुछ भी हो सकता था। उन्होंने कहा, 'आपको बताना चाहूंगी कि मैं भयभीत थी। वहां मौजूद पत्रकारों ने मुझसे कहा कि वे भयभीत महसूस कर शर्मिंदा हो रहे हैं।' जेमी आगे कहती हैं कि बाहर गोली चलने की आवाज सुनाई पड़ी। चैंबर के बाहर लोग खड़े थे, इसे हम आसानी से देख सकते थे। पांच लोग दरवाजे पर बंदूक तानकर खड़े थे। यह भयभीत करने वाला क्षण था। खिड़की के कांच टूट गए थे और लोग इसके जरिए बाहर देख रहे थे। ऐसा लग रहा था कि वे कभी भी गोली चला देंगे। अच्छी बात है कि चैंबर के भीतर गोली नहीं चली लेकिन एक क्षण के लिए ऐसा लगा कि यह होने जा रहा है क्योंकि चैंबर के बाहर स्थितियां तेजी से बदल रही थीं।
'लोकतंत्र के मंदिर को कमजोर किया गया'
जेमी ने कहा, 'हम रेलिंग के सहारे रेंगकर आगे बढ़े। मैंने दूसरे के साथ सदन के कैफिटेरिया में शरण ली। इस वक्त तक मैं कांप रही थी। एक पत्रकार के रूप में मैंने बहुत सारी चीजें देखी हैं लेकिन यह कुछ ज्यादा था। यहां सबसे सुरक्षित समझे जाने वाले लोकतंत्र के मंदिर को कमजोर किया गया, उस पर हमला हुआ।'