- अमेरिका में मंगलवार को आएंगे राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे
- रिपब्लिकन उम्मीदवार ट्रंप और डेमोक्रेट बिडेन के बीच मुकाबला
- अमेरिकी चुनाव में ऐसे कई मुद्दे हैं जो भारतीय मतदाताओं को प्रभावित करेंगे
नई दिल्ली : अमेरिका में 50 राज्यों के मतदाता आज (मंगलवार को) अपने 46वें राष्ट्रपति का चुनाव करेंगे। इस बार राष्ट्रपति एवं रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप का मुकाबला डेमोक्रेट पार्टी के जो बिडेन से है। दोनों के बीच कई राज्यों में कड़ी टक्कर होने की उम्मीद की जा रही है। इस चुनाव में करीब 19 लाख भारतीय मतदाता भी हैं जिन्होंने इस चुनाव में वोट किया है। माना जाता है कि कुछ राज्यों में जहां पर राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों में करीबी टक्कर होता है, वहीं ये भारतीय मतदाता निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। अमेरिका में लगभग 44 लाख भारतीय मूल के लोग हैं। राष्ट्रपति ट्रंप और बिडेन दोनों ने इन भारतीय मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की है। अमेरिका में रहने वाले भारतीयों के लिए चुनाव में ऐसे कई मुद्दे रहे हैं जिनसे वे सीधे रूप में प्रभावित हो सकते हैं। आइए जानते हैं महत्वपूर्ण मुद्दों पर ट्रंप और बिडेन की क्या राय रही है-
भारत
हाल के वर्षों में 'हाउडी मोदी', 'नमस्ते ट्रंप' जैसे कई मौकों पर डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रर्धानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच अच्छी 'युगलबंदी' देखने को मिली है। फिर भी स्टील एवं एल्यूमीनियम उत्पादों पर अमेरिकी टैरिफ में वृद्धि से कारोबारी तनाव भी उपजा। ट्रंप कई बार भारत को 'टैरिफ किंग' भी बोल चुके हैं। अमेरिकी युवाओं को नौकरी देने के लिए टंप ने एच-1बी बीज के साथ अन्य कामकाजी वीजा पर अस्थाई रोक लगा दी। ट्रंप ने कई मौकों पर कश्मीर मसले पर मध्यस्थता का जिक्र किया लेकिन भारत ने इसे ठुकरा दिया। चीन के साथ जारी तनाव के बीच ट्रंप प्रशासन ने मजबूती के साथ भारत का समर्थन किया है।
बिडेन का कहना है कि वह भारत के साथ हमेशा खड़े होंगे। बिडेन ने सीमा पार आतंकवाद एवं सीमा पर चीन के 'आक्रामक रवैये' पर रोक लगाने का वादा किया है। साथ ही उन्होंने कहा है कि सत्ता में आने पर वह एच-1बी बीजा पर लगी अस्थाई रोक हटा लेंगे। बिडेन भारत और अमेरिका की अर्थव्यवस्था को और ज्यादा खोलने के पक्षधर हैं। डेमोक्रेट उम्मीदवार का कहना है कि वैश्विक चुनौतियों जैसे कि परमाणु अप्रसार, वैश्विक स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन एवं आतंकवाद पर वह भारत के साथ मिलकर काम करेंगे।
अर्थव्यवस्था
कोविड-19 के संकट के बढ़ने के बावजूद ट्रंप राज्यों को अपनी अर्थव्यवस्था खोलने एवं उसे आगे बढ़ाने पर जोर देते रहे हैं। कोरोना संकट के दौरान अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए ट्रंप ने कारोबारियों एवं स्थानीय सरकारों के साथ कई करार किए। अपने 2017 के टैक्स कटौती को आर्थिक विकास में एक प्रमुख कारण के तौर पर पेश करते रहे हैं।
बिडेन कोरोना की टेस्टिंग की बढ़ाए बगैर अर्थव्यवस्था को खोलने के खिलाफ रहे हैं। मंदी को टालने एवं आर्थिक असमानता को दूर करने के लिए बिडेन ने फेडरल एक्शन प्लान का प्रस्ताव किया है। रोजगार के नए अवसर बनाने के लिए डेमोक्रेट उम्मीदवार स्वच्छ ऊर्जा, विनिर्माण एवं देखभाल क्षेत्र में खरबों डॉलर खर्च करने के पक्ष में हैं। बिडेन नस्ली भेदभाव कम करने का भी वादा किया है। बिडेन ने ट्रंप के 2017 के कर में कटौती की आलोचना की है। उनका कहना है कि इसका लाभ कॉरपोरेशंस एवं समृद्ध लोगों को पहंचा है।
कोविड-19 संकट
राष्ट्रपति ट्रंप पर कोरोना संकट पर लापरवाह होने के आरोप लगे हैं। वह संकट के समय में भी डेमोक्रेटिक गवर्नर्स को अपने राज्यों में प्रतिबंधों को हटाने पर जोर दिया। ट्रंप मास्क लगाने के प्रति भी गंभीर नहीं दिखे। उन्होंने कोविड के लिए गाइडलाइंस राज्यों पर छोड़ दिया। कोरोना संकट पर उनकी चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ की बार बहस देखने को मिली। कोरोना टीके के निर्माण एवं वैक्सीन खरीदने के लिए 10 अरब डॉलर से ज्यादा की राशि खर्च की। ट्रंप ने वादा किया है कि वह लोगों को कोरोना का टीका मुफ्त देंगे।
कोरोना संकट से निपटने के ट्रंप के तौर तरीकों की बिडेन ने कड़ी आलोचना की है। बिडेन ने आरोप लगाते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति के शासन में लोग 'कोरोना वायरस से संक्रमित होकर मरना सीख रहे हैं।' बिडेन का कहना है कि सत्ता में आने पर वह सभी के लिए मास्क पहनना अनिवार्य करेंगे। स्लोडाउन से कारोबार एवं व्यक्ति को उबारने के लिए सरकारी खर्च बढ़ाने का वादा किया है। डेमोक्रेट उम्मीदवार ने कहा है कि प्रत्येक अमेरिकी नागरिक तक कोरोना का टीका पहुंचाने के लिए वह 25 अरब डॉलर का निवेश करेंगे।
इमिग्रेशन नीति
अमेरिका में स्थायी निवास की चाहत रखने वाले लोगों पर ट्रंप की नीतियां कठोर रही हैं। उन्होंने अमेरिका में विदेशी लोगों का प्रवेश रोकने के लिए सख्ती से काम किया है। उन्होंने शरणार्थियों की संख्या में भी भारी कटौती की है। ट्रंप ने 'डेफर्ड एक्शन फॉर चाइल्डहुड अराइवल्स (डीएसीए)' को खत्म कर दिया। ट्रंप ने पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी पॉलिसी को लागू किया। इसके तहत अमेरिकी-मेक्सिको सीमा पर पकड़े गए प्रवासियों को जल्द उनके देश प्रत्यर्पित करने का अधिकार देता है। सात बड़े मुस्लिम देशों से प्रवासियों के प्रवेश पर रोक के लिए आदेश पर हस्ताक्षर किए।
ट्रंप के उलट इमिग्रेशन पर बिडेन की अलग सोच है। उनका मानना है कि प्रवासी अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं और वे रोजगार भी पैदा करते हैं। प्रवासियों पर ट्रंप की नीतियों को उन्होंमने अमेरिकी मूल्यों पर 'प्रहार' करार दिया। बिडेन ने डीएसीए कार्यक्रम को दोबारा लागू करने की बात कही है। अवैध अप्रवास पर वह ओबामा कालीन नीत को लागू करने के पक्षधर हैं। बिडेन का कहना है कि सत्ता में आने पर वह अमेरिकी-मेक्सिको सीमा पर बनने वाली दीवार की फंडिंग रोक देंगे।