वाशिंगटन : अमेरिकी सियासत में 2020 का साल विशेष रूप से यादगार रहा, जब यहां राष्ट्रपति चुनाव संपन्न हुए। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हर चार साल पर होते हैं। इससे पहले अमेरिका में 2016 में राष्ट्रपति चुनाव हुआ था। राष्ट्रपति चुनाव में इस बार कोरेाना वायरस संक्रमण, आर्थिक सुस्ती, नस्लभेद के मुद्दा प्रमुखता से छाए रहे तो इस चुनाव ने कई रिकॉर्ड्स भी बनाए। ट्रंप अमेरिका के उन राष्ट्रपतियों में शुमार हो गए, जो पद पर रहते हुए चुनाव हार गए तो 77 वर्षीय जो बिडेन चुनाव में सफलता हासिल कर अमेरिका के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। वहीं कमला हैरिस ने उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव जीतकर अलग ही इतिहास बनाया।
कई मायनों में खास रहा अमेरिकी चुनाव
भारतीय मूल की कमला हैरिस बतौर महिला, अश्वेत और साउथ एशियन होते हुए उपराष्ट्रपति पद पर काबिज होने जा रही हैं। यह सब अमेरिकी राजनीतिक इतिहास में पहली बार होने जा रहा है। राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बिडेन ने उपराष्ट्रपति पद के लिए कमला हैरिस का नाम अगस्त में सुझाया। मुखर वक्ता के तौर पर पहचान रखने वाली कमला हैरिस को भारतीय-अमेरिकी, अफ्रीकी-अमेरिकी समाज के लोगों और महिलाओं का भरपूर समर्थन मिला। चुनाव नतीजों के बाद उनका भाषण सुर्खियों में रहा, जिसमें उन्होंने कहा कि वह अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति हो सकती हैं, लेकिन आखिरी नहीं। उन्होंने भारत से जुड़ी अपनी जड़ों को भी जिक्र किया।
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान 3 नवंबर को हुआ था। यहां मतदान समाप्त होते ही मतगणना शुरू हो जाती है और आम तौर पर नतीजे 24 घंटों के भीतर सामने आ जाते हैं। लेकिन इस बार रिकॉर्ड संख्या में मतदान और डाक मत-पत्रों की गिनती के कारण अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम घोषित करने में अप्रत्याशित देरी हुई और नतीजे 7 नवंबर को देर रात सामने आए, जिसमें डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बिडेन को विजेता घोषित किया गया। बिडेन इससे पहले बराक ओबामा के राष्ट्रपति कार्यकाल में उपराष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी निभा चुके हैं और ऐसा माना जाता है कि उनकी सोच व रणनीतियों पर ओबामा की छाप साफ नजर आती है।
अमेरिकी चुनाव में हुई बंपर वोटिंग
अमेरिका में हुए चुनाव में इस बार बंपर वोटिंग हुई। अमेरिका की कुल 33.1 करोड़ आबादी में से 16 करोड़ से अधिक लोगों ने मतदान किया। यह पिछले 100 सालों में सर्वाधिक वोटिंग प्रतिशत रहा। अमेरिका में आमा तौर पर राष्ट्रपति चुनाव में 50 से 60 फीसदी के बीच ही मतदान होता रहा है, लेकिन इस बार मतदाताओं ने इतिहास रच दिया और तकरीबन 66.9 फीसदी वोटिंग की। अमेरिका में मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी की एक प्रमुख वजह चुनाव में युवा मतदाताओं की भागीदारी के साथ-साथ डाक मत-पत्रों के जरिये किया गया मतदान भी है। कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बड़ी संख्या में लोगों ने डाक के जरिये मतदान का विकल्प चुना।
अमेरिकी चुनाव में जो मुद्दे प्रमुखता से छाए रहे, उनमें कोरोना वायरस संक्रमण और इसके कारण पैदा हुए मानवीय व आर्थिक संकट के साथ-साथ श्वेत पुलिसकर्मी के हाथों अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत का मुद्दा भी प्रमखता से छाया रहा। अफ्रीकी-अमेरिकी समुदाय से ताल्लुख रखने वाले जॉर्ज फ्लॉयड की मौत पुलिस हिरासत में हुई थी। फ्लॉयड को एक दुकान में नकली बिल का इस्तेमाल करने के संदेह में गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद एक वायरल वीडियो में एक श्वेत पुलिस अधिकारी को घुटने से आठ मिनट तक जॉर्ज फ्लॉयड की गर्दन दबाए हुए देखा गया। वीडियो में जॉर्ज को कहते सुना गया, 'मैं सांस नहीं ले पा रहा।' बाद में फ्लॉयड की मौत हो गई।
चुनाव को जिन मुद्दों ने प्रभावित किया
इस घटना के बाद अमेरिकी राजनीति में उबाल आ गया। बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए। कई जगह हिंसक भी प्रदर्शन हुए। इस घटना को आधार बनाकर चुनाव में अश्वेत नागरिकों के साथ भेदभाव का मुद्दा प्रमुखता से छाया रहा। कोरोना वायरस संक्रमण पर भी विपक्ष ने डोनाल्ड ट्रंप को घेरा और कहा कि महामारी को लेकर उनके बेपरवाह रवैये ने लोगों के जीवन को मुश्किल बना दिया। इस महामारी के कारण अमेरिका में 2.88 लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जबकि संक्रमण के मामले बढ़कर 1.5 करोड़ से अधिक हो चुके हैं। कोरोना वायरस के कारण पैदा हुए हालात ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित किया, जो चुनाव में अहम मुद्दा रहा।
अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव भले ही नवंबर में संपन्न हो जाता है, लेकिन राष्ट्रपति यहां चुनावा के लगभग दो महीने बाद 20 जनवरी को शपथ लेते हैं। इस तरह अमेरिका में हालिया राष्ट्रपति चुनाव जीतने वाले जो बिडेन और कमला हैरिस 20 जनवरी, 2021 को शपथ लेंगे। आधिकारिक तौर पर अमेरिका में नए राष्ट्रपति का कार्यकाल 20 जनवरी की दोपहर को शुरू होता है। इससे पहले वशिंगटन डीसी में एक विशेष समारोह का आयोजन किया जाता है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस नए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं। इसे इनॉगरेशन कहा जाता है। चुनाव नतीजों की घोषणा और राष्ट्रपति का कार्यकाल शुरू होने के बीच के वक्त को प्रेजिडेन्शियल ट्रांजिशन कहा जाता है। निर्वाचित राष्ट्रपति इस बीच अपनी ट्रांजिशन टीम तैयार कर लेते हैं, जो इनॉगरेशन के बाद काम शुरू कर देती है।