इस्लामाबाद/वाशिंगटन : पाकिस्तान की घरेलू राजनीति में अपने सियासी करियर की सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहे इमरान खान ने आज (गुरुवार, 31 मार्च) राष्ट्र को संबोधित किया, जिस दौरान उन्होंने अपने इस्तीफे की अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि अब फैसला रविवार (3 अप्रैल) को ही होगा, जब नेशनल असेंबली में उनके खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी। इस क्रम में उन्होंने अमेरिका का नाम भी लिया। हालांकि वह तुरंत ही संभल गए और फिर उन्होंने कहा कि वह किसी देश का नाम नहीं लेंगे।
इमरान खान ने अमेरिका का जिक्र तब किया, जब वह अपनी सरकार के खिलाफ 'अंतरराष्ट्रीय साजिश' के साक्ष्य के तौर पर एक 'धमकीभरे खुफिया पत्र' का जिक्र कर रहे थे, जिसका उल्लेख उन्होंने रविवार की रैली के दौरान भी किया था। रविवार को इस्लामाबाद में आयोजित जनसभा के दौरान उन्होंने अपनी जेब से एक कागज का टुकड़ा निकाला था और भीड़ के सामने इसे लहराते हुए दावा किया गया था कि यह उनकी सरकार गिराने के लिए की गई 'अंतरराष्ट्रीय साजिश' का साक्ष्य है। इमरान खान ने इस पत्र के बारे में पाकिस्तान के कुछ पत्रकारों से भी बात की है, लेकिन अब तक उन्होंने यह पत्र मीडिया को नहीं दिखाया है।
'इस्तीफा नहीं दूंगा, आखिरी बॉल तक खेलूंगा', इमरान खान ने फिर किया 'विदेशी साजिश' का जिक्र
इमरान खान की फिसली जुबान!
पाकिस्तान में सियासी घमासान के बीच आज जब उन्होंने इस पत्र का एक बार फिर जिक्र किया तो इसी क्रम में उनकी जुबान से अमेरिका का नाम निकला। समझा जा रहा है कि इमरान खान की जुबान फिसल गई। वहीं कहा यह भी जा रहा है कि इमरान खान जिस तरह बीते कुछ समय में अमेरिका पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान के इस्तेमाल का आरोप लगाते रहे हैं और अभी चीन के जिस तरह से अमेरिका के साथ संबंध तनावपूर्ण हैं और पाकिस्तान में गहरा दखल है, उसे देखते हुए इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि संभवत: इमरान खान ने जानबूझकर अमेरिका का नाम लिया।
इमरान खान को मिली थोड़ी और मोहलत, नेशनल असेंबली का सत्र शुरू होते ही स्थगित
इमरान खान ने गुरुवार को अपने संबोधन में कहा, '7 या 8 मार्च को अमेरिका... अमेरिका नहीं... मैं नाम नहीं लूंगा... हमें एक संदेश मिला। इसमें कहा गया कि अगर अविश्वास प्रस्ताव पारित होता है तो पाकिस्तान को माफ कर दिया जाएगा, अगर ऐसा नहीं किया गया तो परिणाम भुगतने होंगे।' उन्होंने कहा कि यह एक 'आधिकारिक पत्र' था, जिसे पाकिस्तान के राजदूत को भेजा गया था। राजदूत को बताया गया था कि अगर इमरान खान सत्ता में बने रहते हैं तो पाकिस्तान को 'कठिनाइयों' का सामना करना पड़ेगा।
अमेरिका ने आरोपों को नकारा
इमरान खान के इस संबोधन के बाद अमेरिका की प्रतिक्रिया आई है, जिसमें कहा गया है कि पाक पीएम के आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। अमेरिका ने पाक नेतृत्व से इन आरोपों के खंडन की मांग भी की है। अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता के मुताबिक, किसी भी अमेरिकी सरकारी एजेंसी या अधिकारी ने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर पाकिस्तान को पत्र नहीं भेजा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में पल-पल बदल रहे घटनाक्रम पर अमेरिका की नजर है। पाकिस्तान की संवैधानिक प्रक्रिया व कानून के शासन का अमेरिका सम्मान व समर्थन करता है, लेकिन पाकिस्तान के मौजूदा राजनीतिक हालात पर अमेरिका ने कोई भी पत्र पाकिस्तान को नहीं भेजा है।