- जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान कूटनीतिक तौर पर अलग-थलग- यूएस थिंक टैंक
- आतंकी संगठनों को समर्थन देने की वजह से पाकिस्तान की साख घटी- सीआरएस
- हाल के दिनों में भारत और अमेरिकी रिश्तों में आई मजबूती
वाशिंगटन: पाकिस्तान के पीएम इमरान खान वर्ल्ड इकोनॉमी फोरम की बैठक में हिस्सा लेने के लिए दावोस में हैं। मंगलवार को उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात में कश्मीर के मुद्दे को उठाया और अब कश्मीर के मुद्दे पर अमेरिकी थिंक टैंक ने जो राय दी है उसके मुताबिक भारत के फैसले का जवाब देने के लिए इमरान खान सरकार के पास सीमित विकल्प है।
कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस के कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान अपनी साख खो चुका है और इसके पीछे ठोस वजह ये है कि वो आतंकी संगठनों का साथ देता रहा है। 6 महीने के भीतर सीआरएस की यह दूसरी रिपोर्ट है जिसमें पाकिस्तान के बारे में इस तरह की टिप्पणी की गई है। सीआरएस की यह रिपोर्ट 13 जनवरी को आई थी जिसमें बताया गया है कि पांच अगस्त को जब भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर के बारे में बड़ा फैसला किया तो पाकिस्तान के विरोध को किसी और मुल्क ने तवज्जो नहीं दिया। इसका अर्थ यह है कि कूटनीतिक तौर पर पाकिस्तान इस मसले पर अकेला दिखाई दिया।
CRS से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि कश्मीर पर अमेरिका का नजरिया हमेशा से यही रहा है कि इसका हल भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी बातचीत से हो। लेकिन उसमें आम कश्मीरियों की राय को भी शामिल किया जाए। सीआरएस की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले कुछ दशकों में अमेरिकता की भारत के साथ नजदीकी बढ़ी है। लेकिन पाकिस्तान के प्रति अविश्वास के वातावरण का निर्माण हुआ है।