- अश्वेत व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद अमेरिका के कई शहरों में फैल चुकी है हिंसा
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 'एंटीफा' को आतंकी संगठन घोषित करने की बात कही है
- अमरिका का चरम वामपंथी समूह है 'एंटीफा', यह संगठन वहां 1980 के दशक से है सक्रिय
नई दिल्ली : अमेरिका के मिनीपोलिस में गत 25 मई को अश्वेत व्यक्ति की पुलिस हिरासत में मौत के बाद कई शहरों में हिंसा एवं लूटपाट का दौर जारी है। अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद हिंसा एवं विरोध-प्रदर्शनों की आंच ह्वाइट हाउस तक पहुंच गई है। उपद्रव के इस दौर को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सुरक्षित एक बंकर में ले जाया गया है। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक बयान दिया है जिस पर गौर करना जरूरी है। ट्रंप ने रविवार को अपने एक ट्वीट में कहा है कि उनकी सरकार चरम वामपंथी समूह 'एंटीफा' को उनकी सरकार आतंकवादी सगठन घोषित करेगी।
उन्होंने कहा, 'अमेरिका ANTIFA'को आतंकवादी संगठन घोषित करेगा।' ट्रंप पहले भी 'एंटीफा' को आतंकवादी संगठन बता चुके हैं। अमेरिका के दक्षिणपंथी रुझान रखने वाले राजनीतिज्ञ भी कई मौकों पर इस संगठन की आलोचना कर चुके हैं। इनमें टेक्सास के सीनेटर टेड क्रूज भी शामिल हैं। आइए जानते हैं कि यह 'एंटीफा' है क्या-
क्या है 'एंटीफा'
यह समूह पिछले साल जून में उस वक्त सुर्खियों में आया जब इसके सदस्यों का ओरेगांव के पोर्टलैंड में चरम दक्षिणपंथी समूह के लोगों के साथ संघर्ष हो गया। इस दौरान हुई हिंसा में एक पत्रकार सहित दोनों पक्ष के लोग घायल हुए। 'एंटीफा' की अमेरिका में कब शुरुआत हुई इसे लेकर अलग-अलग दावे हैं लेकिन इतना स्पष्ट है कि यह संगठन वहां कई दशकों से मौजूद है। मरियम वेबस्टर डिक्शनरी के अनुसार 'एंटीफा' शब्द नाजी जर्मनी के समय से प्रचलन में है।
डिक्शनरी में इस शब्द को जर्मन 'एंटीफा' से निकला माना जाता है जो कि एंटी-फॉसिस्ट का लघु रूप है। यूरोप के देशों में इसकी मौजूदगी काफी पहले से है जबकि अमेरिका में यह हाल के वर्षों में सामने आया है फिर भी अभी इस संगठन का कोई औपचारिक सांगठनिक ढांचा नहीं है। समाचार पत्र द न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है कि इसके सदस्य ब्लैक लाइव्स मैटर एवं ऑक्युपॉय जैसे आंदोलनों से आते हैं।
1980 के दशक से मानी जाती है इसकी शुरुआत
अमेरिका में इस संगठन की शुरुआत 1980 के दशक से मानी जाती है। साल 2016 में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के साथ ही उसने अपने विरोध-प्रदर्शनों में हिंसा का सहारा लिया जिसके कारण यह प्रमुखता से उभरकर सामने आया। 'एंटीफा' के सदस्य अपने प्रदर्शन के दौरान हमेशा ही काले कपड़े और मास्क पहनते हैं। यह संगठन पूंजीवाद का घोर विरोध करता है और अपनी चरम वामपंथी विचारधारा के लिए जाना जाता है। यह हमेशा से ही एलजीबीटीक्यू और अन्य मानवाधिकार से जुड़े मुद्दों को उठाता आया है। इनके प्रदर्शनों की पहचान ही हिंसा है।
सड़कों पर मारपीट करते हैं इसके सदस्य
'एंटीफा' का मानना है कि मुख्य धारा के उदारवादी नेता उनके लिए कुछ खास नहीं कर रहे हैं। इस समूह के सदस्य अधिकतर अपने विरोधियों के साथ सड़कों पर मारपीट करने पर उतारू हो जाते हैं। हालांकि ये अहिंसात्मक आंदोलनों में भी हिस्सा लेते हैं। ये ऐसे वेबसाइट भी चलाते हैं जो श्वेत चरमपंथी व्यक्तियों एवं चरम दक्षिणपंथी समूहों की निगरानी करते हैं।
कई शहरों में हुए हिंसक प्रदर्शन
दरअसल, मिनीपोलिस में उस वक्त हिंसा का दौर शुरू हो गया जब एक वीडियो में एक श्वेत पुलिस अधिकारी को आठ मिनट से अधिक समय तक घुटने से फ्लॉयड का गला दबाते हुए देखा गया। इस दौरान फ्लॉयड सांस लेने देने की फरियाद करता रहा। बाद में फ्लॉयड की मौत हो गई। इस घटना के बाद वर्जीनिया, कैरोलिनास और मिसीपीसी में प्रदर्शनकारियों ने स्मारकों को नुकसान पहुंचाया। कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने दुकानों में लूटपाट भी की है और वाहनों को आग के हवाले किया।