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G-7: क्या है जी-7 समूह जिसमें डोनाल्ड ट्रंप भारत को बनाना चाहते हैं सदस्य

Updated Jun 03, 2020 | 14:07 IST

The Group of 7: जी -7 शिखर सम्मेलन को सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया है। आइए जानते हैं क्या है जी-7 ग्रुप और कैसे करता है काम...

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पीएम मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप
मुख्य बातें
  • जी-7 शिखर सम्मेलन सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
  • जानें क्या है ग्रुप-7(G-7)।
  • जी -7 शिखर सम्मेलन कैसे करता है काम।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ट ट्रंप ने जी 7 शिखर सम्मेलन के लिए भारत, रूस, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया को आमंत्रित किए जाने की बात कही है। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि जी-7 पूरी दुनिया में जो चल रहा है उसका सही ढंग से प्रतिनिधित्व करता है। बता दें कि जी -7 शिखर सम्मेलन का आयजोन अमेरिका में कैंप डेविड में 10-12 जून के बीच होने वाला था। लेकिन उसे हाल ही में डोनाल्ट ट्रंप ने सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया है। पिछले साल, जी -7 शिखर सम्मेलन 24-26 अगस्त को दक्षिण-पश्चिम फ्रांस के बिआरिट्ज में आयोजित किया गया था, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के विशेष अतिथि के रूप में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था।

क्या है ग्रुप-7(G-7)
G-7 या 'ग्रुप ऑफ सेवन' दुनिया की सात सबसे बड़ी विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों के समूह है, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। यह एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसे साल 1975 में तत्कालीन अर्थव्यवस्थाओं द्वारा प्रेस मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक अनौपचारिक मंच के रूप में गठित किया गया था। वहीं कनाडा साल 1976 में इस समूह में शामिल हुआ था और यूरोपीय संघ 1977 में भाग लेने लगा।

शुरुआत में आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए अमेरिका और सहयोगी देशों द्वारा प्रयास के रूप में गठित जी-7 कई चुनौतियों के बारे में विचार विमर्थ किया है। उदाहरण के तौर पर साल 1970 के दशक में तेल दुर्घटना, पूर्व सोवियत ब्लॉक राष्ट्रों के आर्थिक बदलाव और वित्तीय संकट, आतंकवाद आदि शामिल हैं। साल 1997 में ग्रुप-7 में रूस के शामिल होने के बाद कई वर्षों तक जी-7 को जी-8 के रूप में जाना जाता था।  लेकिन 2014 में क्रीमिया विवाद के बाद रूस को सदस्य के रूप में निष्कासित कर दिया गया है। जिसके बाद समूह को वापस से जी -7 कहा जाने लगा। 

2016 में अपने चुनाव के बाद से, राष्ट्रपति ट्रंप ने मॉस्को के वैश्विक रणनीतिक महत्व देते हुए रूस को वापस से जोड़ने के लिए कहा था। जी -7 का एक निर्धारित मुख्यालय नहीं है। इसलिए वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान समूह द्वारा लिये गए निर्णय गैर-बाध्यकारी होते हैं। पिछले कुछ दशकों में भारत, चीन और ब्राजील के विकास ने जी -7 की प्रासंगिकता को कम कर दिया है, जिसकी वैश्विक जीडीपी में हिस्सेदारी अब लगभग 40% हो गई है।

जी -7 शिखर सम्मेलन कैसे करता है काम 

जी-7 देशों के राष्ट्राध्यक्ष वार्षिक शिखर सम्मेलन में मिलते हैं जिसकी अध्यक्षता सदस्य देशों के नेताओं द्वारा एक रोटेशनल बेसिस पर की जाती है। जी-7 समूह के देशों के नेताओं की दो दिवसीय शिखर बैठक हर साल होती है, जिसमें महत्‍वपूर्ण वैश्विक आर्थिक मुद्दों के साथ-साथ अहम राजनीतिक सुरक्षा और सामाजिक मुद्दों पर भी चार्च होती है। शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए जी-7 के बाहर के गणमान्य व्यक्ति को मेजबान देश के रूप में आमंत्रित किया जाता है। जी-7 के पिछले कुछ शिखर सम्‍मेलनों में ऊर्जा नीति, जलवायु परिवर्तन, एचआईवी-एड्स और वैश्विक सुरक्षा जैसे महत्‍वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई।

जी-7 और जी-20
जी -20 देशों का एक बड़ा समूह है, जिसमें जी 7 सदस्य भी शामिल हैं। वैश्विक आर्थिक चिंताओं को दूर करने के लिए अधिक देशों को बोर्ड पर लाने की जरूरत महसूस की गई थी, जिसके बाद 1999 में जी-20 का गठन किया गया था। जी-7 देशों के अलावा, जी-20 में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन, भारत, इंडोनेशिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया और तुर्की शामिल हैं। साथ में जी-20 देश-दुनिया की अर्थव्यवस्था का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं। जी -7 के विपरीत, यह कई अलग-अलग तरह मुद्दों पर चर्चा करता है, जी -20 के विचार-विमर्श वैश्विक अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों से संबंधित होता है।