- वर्षों तक चले अभियान के बाद बगदादी को मारने में मिली अमेरिका को सफलता
- अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा-अपने अंतिम समय में एक सुरंग में छिपा था बगदादी
- दुनिया भर में अपना 'खलीफा राज' स्थापित करना चाहता था आईएसआईएस का सरगना
नई दिल्ली : सीरिया और इराक में अपने आतंक के जरिए आतंक का पर्याय बना आईएसआईएस का सरगना और दुनिया का सबसे खूंखार आतंकवादी अबु बक्र अल-बगदागी (48) अमेरिकी हमले में मार दिया गया है। खुद को दुनिया के मुस्लिमों का 'खलीफा' घोषित करने वाला बगदादी का अंत एक 'कायर' की तरह हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आधिकारिक तौर पर बगदादी के मारे जाने की पुष्टि की है। ट्रंप ने रविवार को कहा कि मारे जाने से पहले बगदादी चीख और रहम की भीख मांग रहा था। अमेरिकी विशेष कमांडो की कार्रवाई में उसके तीन बच्चे और करीबी सहयोगी भी मारे गए हैं। बगदादी का मारा जाना पूरी दुनिया के लिए राहत की बात है क्योंकि वह अपना 'खलीफा राज' स्थापित करना चाहता था। सीरिया और इराक में उसके अत्याचार एवं जुल्म ने लाखों लोगों की जिंदगियां बर्बाद कर दीं।
बता दें कि बगदादी और आईएसआईएस के खात्मे के लिए अमेरिकी और स्थानीय सुरक्षा बल लंबे समय से अपना अभियान चला रहे थे लेकिन अमेरिका को अब जाकर उसे मारने में सफलता मिली। अमेरिका ने साल 2014 में भी इराक के मोसूल में बगदादी को निशाना बनाने की कोशिश की थी लेकिन वह बच निकला था। यही नहीं उसके मारे जाने की कई बार रिपोर्टें आईं लेकिन वह किसी न किसी तरह बचता रहा। बगदादी के लड़ाकों ने उत्तरी इराक के कुर्दिश नियंत्रित क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। यहां उन्होंने यज्दी समुदाय के लोगों सहित नाबालिगों को अपना गुलाम बनाया था।
जनवरी 2015 के दौरान आईएसआईएस अपने चरम पर था और उसने सीरिया और इराक के ज्यादातर क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण कर लिया था। उसके नियंत्रण वाला यह हिस्सा करीब-करीब ब्रिटेन के बराबर था और इस आतंकवादी संगठन से दुनिया भर के करीब 40 हजार लड़ाके जुड़ गए। बगदादी को पकड़ने के लिए अमेरिकी ने उसके सिर पर 25 मिलियन डॉलर का इनाम घोषित कर रखा था। अमेरिका ने इतनी ही रकम अल कायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन और उसके उत्तराधिकारी अयमान अल-जवाहिरी के सिर पर भी रखी थी।
कौन था बगदादी
बगदादी का पूरा नाम इब्राहिम अव्वाद इब्राहिम अल-बद्री था और इसका जन्म इराकी शहर समारा में 1971 में हुआ था। बगदादी की नजर कमजोर होने के चलते वह इराक की सेना में शामिल नहीं हो सका। वह शुरू में अल-कायदा से प्रभावित हुआ और बाद में इराक में इस संगठन का सरगना बना। आगे चलकर बगदादी ने अल-कायदा से अलग होकर इस्लामिक स्टेट (आईएस) का गठन किया। जुलाई 2014 में इराक और सीरिया में अपना आधिपत्य जमाने के बाद बगदादी ने मोसूल से एक वीडियो संदेश जारी किया। इस वीडियो में बगदादी पहली बार दुनिया के सामने नजर आया। इस वीडियो में उसने खुद को दुनिया के मुस्लिमों का धार्मिक नेता 'खलीफा' घोषित किया।
और पढ़ें : मारा गया अबु बकर अल बगदादी, डोनाल्ड ट्रंप बोले- मारे जाने से पहले चीख रहा था IS सरगना
इस्लामिक स्टडीज में की थी पीएचडी
बगदादी का सुन्नी परिवार सऊदी अरब से ताल्लुक रखता था और खुद को पैगंबर मोहम्मद के कुरायश समुदाय का उत्तराधिकारी बताता था। बचपन में बगदादी कुछ समय स्थानीय मस्जिदों में रहते हुए कुरान और शरिया की शिक्षा ली। अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद बगदादी बगदाद चला गया। बगदाद में उसने इस्लामिक स्टडीज में मास्टर की डिग्री ली और इसके बाद इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ बगदाद से इसी विषय में पीएचडी पूरी की।
बुक्का कैंप में 10 महीने हिरासत में रहा
साल 2004 की शुरुआत में अमेरिकी बलों ने उसे बगदाद के पश्चिमी शहर फल्लुजा में पकड़ा और उसे कैंप बुक्का में हिरासत में रखा गया। बताया जाता है कि कैंप बुक्का में हिरासत में रहते हुए बगदादी ने आईएस की रूपरेखा तैयार की और साथी कैदियों के साथ आतंकवाद का नेटवर्क और संपर्क स्थापित किया। बताया जाता है कि हिरासत के दौरान वह प्रार्थनाएं और कट्टर धार्मिक उपदेश देता था। बगदादी कैंप में लो-प्रोफाइल रहता था और उसके आचरण को देखते हुए अमेरिका ने उसे 10 महीनों की हिरासत के बाद रिहा कर दिया।
और पढ़ें : मारा गया ISIS आतंकी बगदादी?, ट्रंप ने ट्वीट किया- 'कुछ बहुत बड़ा' हुआ
स्थापित करना चाहता था 'खलीफा राज'
बगदादी के इस्लाम के घिनौने रूप को दुनिया के ज्यादातर मुस्लिमों देशों ने नकार दिया। हालांकि दुनिया में 'खलीफा राज' स्थापित करने की उसकी योजना ने बड़ी संख्या में दुनिया के मुस्लिम युवकों एवं महिलाओं को अपनी तरफ आकर्षित किया। बगदादी ने कहा था कि उसके राज में शरिया कानून लागू होगा। बगदादी सार्वजनिक रूप से बहुत कम लोगों के सामने आता था लेकिन समय-समय पर वह अपना वीडियो जारी करता था।
मोबाइल फोन इस्तेमाल नहीं करता था बगदादी
इराक और सीरिया में आईएसआईएस के पांव उखड़ जाने के बाद अमेरिकी बलों की नजरों से बचने के लिए बगदादी दर-दर भटक रहा था। बताया जाता है कि वह हाल के दिनों में इराक की सीमा से सटे सीरिया के पूर्वी भाग में छिपा हुआ था। वह अमेरिकी बलों की पकड़ एवं नजर से बचने के लिए कभी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करता था और अपने ठिकाने लगातार बदला करता था। यहां तक कि पश्चिमी देशों की सेनाओं की नजर से बचने के लिए वह काफिल में भी नहीं चलता था। उसे अंदेशा था कि उसके काफिले को निशाना बनाया जा सकता है।